अफवाहों पर Reliance की सफाई, कृषि भूमि खरीदने और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किया इनकार
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं। इस बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज को लेकर कई अफवाहें फैल रही हैं कि इन कानूनों के आने से कंपनी कृषि क्षेत्र में अपना दबदबा बनाएगी। इन्हीं अफवाहों के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सफाई दी है। कंपनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि इसकी कॉन्ट्रैक्ट या कॉर्पोरेट खेती में कदम रखने की कोई योजना नहीं है और यह किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। रिलायंस के अनुसार इसने कभी भी कॉर्पोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कृषि भूमि नहीं खरीदी और न ही इसकी आगे ऐसी कोई योजना है।
एमएसपी को रिलायंस का समर्थन
रिलायंस ने कहा कि उसकी सब्सिडरी रिलायंस रिटेल किसानों से सीधे अनाज नहीं खरीदती है। रिलायंस ने बयान में कहा कि हम अपने आपूर्तिकर्ताओं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सिस्टम, और / या कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य के लिए किसी भी अन्य तंत्र का सख्ती से पालन करने पर जोर देंगे। कंपनी ने कहा कि उसने किसानों से अनुचित लाभ हासिल करने के लिए कभी भी लंबी अवधि तक खरीदारी का कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया या यह नहीं चाहा कि इसके आपूर्तिकर्ता किसानों से लाभाकारी मूल्य से कम पर फसल खरीदे और न ही ऐसा कभी करेंगे।
रिलायंस के टावरों को नुकसान
हाल के सप्ताहों में पंजाब में लगभग 1,500 मोबाइल टॉवर और टेलिकॉम गियरों को नुकसान पहुंचाया गया, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडरी रिलायंस जियो के हैं। कथित तौर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने ऐसा किया। कंपनी ने कहा कि उसने टावरों को नुकसान पहुंचाए जाने के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। इसने उच्च न्यायालय से अपने कर्मचारियों और संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए आदेश जारी करने का आग्रह किया। कंपनी ने इसके लिए बिजनेस राइवल्स पर आरोप भी लगाया है।
रिलायंस के विरोध में किसान
कृषि कानूनों के विरोध के बीच नवंबर में किसानों के कुछ समूहों ने पंजाब के कुछ हिस्सों में रिलायंस फ्रेश स्टोर बंद कर दिए थे। कुछ किसानों को डर है कि नए कानून कॉर्पोरेट शोषण का रास्ता खोलेंगे और बड़ी कंपनियों द्वारा उनकी जमीन छीनी जा सकती है। हजारों किसान, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा से, दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान तीनों नये कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और एमएसपी सिस्टम को खत्म न किए जाने की गारंटी मांग रहे हैं।
किसानों और सरकार के बीच बातचीत
केंद्र और किसान संघ के नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हुई, मगर कोई नतीजा नहीं निकल सका। विरोध कर रहे किसानों को डर है कि नए कृषि सुधार कानून एमएसपी प्रणाली को खत्म कर देंगे और खेती का कॉर्पोरेटाइज कर देंगे। हालांकि केंद्र ने कहा है कि इन सुधारों से किसानों को लाभ होगा।
आज होगी बातचीत
केंद्र और किसान यूनियनों के बीच 4 जनवरी को बातचीत का एक और दौर आयोजित होगा। पिछले दौर में केंद्र और किसान यूनियनों ने विद्युत अधिनियम और पराली जलाने से जुड़े मुद्दों पर सहमति जताई थी। लेकिन दोनों प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं थी, जिसमें एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और तीन कृषि कानूनों को वापस लेना शामिल है।
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