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RBI Governor : इकोनॉमी की हालत से मेल नहीं खाती शेयर बाजारों की तेजी

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नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने के मुताबिक शेयर बाजारों में तेज उछाल और अर्थव्यवस्था की असल स्थिति के बीच एक साफ फर्क है। यानी ये इन चीजों का कोई मेल नहीं है। उन्होंने आने वाले समय में शेयर बाजार में निश्चित तौर पर गिरावट आने की संभावना जताई है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि आरबीआई वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार है।

 
RBI Governor : इकोनॉमी और शेयर बाजार की तेजी में है अंतर

क्या है इस अंतर का कारण
सीएनबीसी आवाज को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में तेजी और अर्थव्यवस्था की स्थिति के बीच ये अंतर के सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि ग्लोबल लेवल पर दिख रहा है। इसके पीछे केंद्रीय बैंकों द्वारा भारी मात्रा में पेश की गई लिक्विडिटी है। दास के मुताबिक डिस्कनेक्ट (शेयर बाजार में तेजी और अर्थव्यवस्था की हालत के बीच फर्क) है। इस मामले को आरबीआई की एमपीसी रेजोल्यूशन (मौद्रिक नीति समिति बैठक) में भी रखा गया था। दास के मुताबिक उन्होंने अपने कुछ पिछले भाषणों में इस बारे में बात की है। बड़े पैमाने पर वैश्विक लिक्विडिटी आने से स्टॉक मार्केट उछली हैं, जो निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था की असल हालत से भिन्न है।

 

6 लाख करोड़ डॉलर की पूंजी आई
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में शेयर बाजारों में गिरावट आएगी, मगर ये नहीं कहा जा सकता कि कब आएगी। वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोना के प्रभाव से निपटने के लिए वित्तीय बाजारों में 6 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की पूंजी डालने के साथ ही ब्याज दरों को शून्य के करीब तक कम कर दिया है। आरबीआई ने भी इस साल मार्च से करीब 10 लाख करोड़ रुपये के करीब मार्कट में डाले हैं। दास ने कहा कि हम वित्तीय क्षेत्र के दृष्टिकोण से नियमित रूप से शेयर बाजार में आने वाली गिरावट के प्रभाव की निगरानी कर रहे हैं और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कदम उठाएंगे।

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English summary

RBI Governor The rally of the stock markets does not match the condition of the economy

Shaktikanta Das said that this difference between the boom in the stock market and the state of the economy is visible not only in India but also on the global level. This is due to the huge amount of liquidity introduced by central banks.
Story first published: Saturday, August 22, 2020, 17:02 [IST]
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