RBI ने नहीं घटाई रेपो रेट, मगर इस बैंक ने सस्ता कर दिया लोन
नयी दिल्ली। आरबीआई ने आज रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का ऐलान किया। रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.3 फीसदी पर बरकरार रहेगी। मगर एक बैंक ने अपने ग्राहकों को राहत देते हुए एमसीएलआर में कटौती की है। ये बैंक है केनरा बैंक। केनरा बैंक ने अपनी एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) में 0.30 फीसदी तक की कटौती की है। इससे केनरा बैंक के ग्राहकों पर ईएमआई का बोझ कम होगा। साथ ही नए कर्जदाताओं को भी सस्ता लोन मिल सकेगा। आइए जानते हैं केनरा बैंक द्वारा कम की गई एमसीएलआर की पूरी डिटेल।
1 साल के लोन पर 7.45 फीसदी ब्याज दर
केनरा बैंक ने विभिन्न अवधियों के लिए एमसीएलआर में 30 आधार अंकों तक की कटौती की है। इसकी ओवरनाइट और एक महीने की उधार दरें 20 बेसिस पॉइंट्स (बीपीएस) घट कर 7 प्रतिशत रह गई हैं। केनरा बैंक ने कहा कि तीन महीने के एमसीएलआर को 7.45 प्रतिशत से संशोधित कर 7.15 कर दिया गया है। 6 महीनों के लिए एमसीएलआर 7.50 फीसदी से घटा कर 7.40 फीसदी और 1 साल के लिए एमसीएलआर 7.55 फीसदी से कम करके केनरा बैंक ने 7.45 फीसदी कर दी है। बैंक की नई लोन दरें 7 अगस्त से लागू होंगी। नई दरों से कर्जदाताओं का बोझ कम होगा।
क्या है एमसीएलआर का मतलब
एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट के तहत बैंक अपने फंड की लागत के हिसाब से लोन की दरें तय करते हैं। ये बेंचमार्क दर होती है। इसके बढ़ने से बैंक से लिया गया लोन महंगे हो जाता है। वहीं एमसीएलआर घटने पर लोन की ईएमआई कम हो जाती है। एमसीएलआर सिस्टम 1 अप्रैल 2016 से एमसीएलआर लागू हुआ। एमसीएलआर को कर्ज के लिए न्यूनतम दर माना जाता है।
क्या कहा आरबीआई गवर्नर ने
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियां नाजुक बनी हुई हैं। लेकिन वैश्विक वित्तीय बाजारों में उछाल आया है। तीन दिन चली आरबीआई की हर दो महीने में एक बार होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला किया गया। रेपो रेट के साथ ही रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। वहीं रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।
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