बड़ी खबर : RBI ने रेपो रेट नहीं बदला, ब्याज दरें नहीं घटेगीं
नई दिल्ली, दिसंबर 8। रिजर्व बैंक ने आज अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान कर दिया है। पिछली कई बार की तरह इस बार भी आरबीआई ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इस प्रकार इस बार भी जहां रेपो रेट 4 फीसदी पर बनी रहेंगी, वहीं रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बनी रहेंगी। रेपो रेट 22 मई 2020 से लगातार 4 फीसदी पर बनी हुई हैं। रिजर्व बैंक यह चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की 3 दिवसीय बैठक सोमवार को शुरू हुई थी। मौद्रिक नीति की घोषणा का ऐलान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया है।
ब्याज दरें नहीं घटेंगी
आमतौर पर माना जाता है कि अगर रेपो रेट में कमी आती है, तो बैंक देर सबेर अपनी ब्याज दरें कम करते हैं। लेकिन इस बार भी रेपो और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव नहीं किया गया है, तो ऐसे में लोन की ब्याज दरें अपरवर्तित रह सकती हैं।
फैसले पर पड़ा ओमीक्रोन का असर
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार दुनिया में ओमीक्रोन का खतरा बढ़ रहा है, ऐसे में रेपो और रिवर्स रेपो रेट को नहीं बदला जा रहा है। इसी के साथ शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था के लिए अकोमडेटिव नजरिया बनाए रखा है। मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी के 6 सदस्यों में से 5 से पॉलिसी रेट को मौजूदा स्तर को बनाए रखने का समर्थन किया है। इसके अलावा आज मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी को भी पहले की तरह 4.25 फीसदी के स्तर पर बरकरार रखने का फैसला किया गया है।
रियल जीडीपी का इस बार ये है अनुमान
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। हालांकि आरबीआई ने हालांकि वित्तीय वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पहले के 6.8 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी किया है। वहीं वित्तीय वर्ष 2022 की चौथी तिमाही के लिए जीडीपी का अनुमान भी 6.1 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी किया है।
महंगाई को लेकर ये है अनुमान
वहीं शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद महंगाई को लेकर भी अनुमान जताया गया। उन्होंने बताया कि आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2022 के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य 5.3 फीसदी पर बनाए रखा है। उन्होंने इस दौरान कहा कि हाल में पेट्रोल और डीजल पर जो टैक्स घटाया गया है, उससे ग्राहकों की खरीदारी की क्षमता बढ़ेगी। इसके अलावा शक्तिकांत दास ने कहा कि हमारे पास मजबूत बफर स्टॉक है, जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।
मोदी सरकार में रेपो रेट की हिस्ट्री
मोदी सरकार में रेपो रेट की हिस्ट्री काफी रोचक है। पूरे मोदी सरकार के कार्यकाल में यह दर कभी उतना नहीं रही जितनी दर ठीक मोदी सरकार के शपथ के ठीक पहले थी। जब मोदी सरकार ने कार्यकाल संभाला तो रेपो रेट की दर 8 फीसदी थी, जो फिर कभी उतनी नहीं हुई है।
ये है रेपो रेट का सफर
-8 अक्टूबर 21 को 4 फीसदी
-6 अगस्त 21 को 4 फीसदी
-4 जून 21 को 4 फीसदी
-7 अप्रैल 21 को 4 फीसदी
-5 फरवरी 21 को 4.00 फीसदी
-4 दिसंबर 20 को 4.00 फीसदी
-9 अक्टूबर 20 को 4.00 फीसदी
-6 अगस्त 20 को 4.00 फीसदी
-22 मई 2020 को 4.00 फीसदी
-27 मार्च 2020 को 4.40 फीसदी
-4 अक्टूबर 2019 को 5.15 फीसदी
-7 अगस्त 2019 को 5.40 फीसदी
-6 जून 19 को 5.75 फीसदी
-04 अप्रैल 19 को 6.00 फीसदी
-07 फरवरी 19 को 6.25 फीसदी
-05 दिसंबर 18 को 6.50 फीसदी
-05 अक्टूबर 18 को 6.50 फीसदी
-01 अगस्त 18 को 6.50 फीसदी
-06 जून 18 को 6.25 फीसदी
-05 अप्रैल 18 को 6.00 फीसदी
-07 फरवरी 18 को 6.00 फीसदी
-06 दिसंबर 17 को 6.00 फीसदी
-04 अक्टूबर 17 को 6.00 फीसदी
-02 अगस्त 17 को 6.00 फीसदी
-08 जून 17 को 6.25 फीसदी
-06 अप्रैल 17 को 6.25 फीसदी
-08 फरवरी 17 को 6.25 फीसदी
-07 दिसंबर 16 को 6.25 फीसदी
-04 अक्टूबर 16 को 6.25 फीसदी
-05 अप्रैल 16 को 6.50 फीसदी
-29 सितंबर 15 को 6.75 फीसदी
-02 जनवरी 15 को 7.25 फीसदी
-04 मार्च 15 को 7.50 फीसदी
-15 जनवरी 15 को 7.75 फीसदी
-28 जनवरी 14 को 8.00 फीसदी
मॉनिटरी पॉलिसी में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का मतलब
क्या होती है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे, जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह।
क्या होती है रिवर्स रेपो रेट
जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे।
क्या होती है सीआरआर
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत हरेक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो या नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं।
क्या होती है एसएलआर
जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है। आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बगैर नकदी की तरलता कम करना चाहता है तो वह सीआरआर बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम बचती है।
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