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RBI का बड़ा फैसला, रेपो और रिवर्स रेपो रेट नहीं बदला

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नई दिल्ली, अगस्त 6। रिजर्व बैंक ने मॉनिटरिंग पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक के बाद ऐलान किया है कि रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस प्रकार रेपो रेट 4 प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत पर बना रहेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा के दौरान बताया कि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट और बैंक रेट 4.25 फीसदी पर बना रहेगा। वहीं आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी का नजरिया एकोमोडेटिव बताया है।

महंगाई बड़ी चिंता

वहीं रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) इंफ्लेशन का अनुमान संशोधित कर 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.7 फीसदी किया है। आरबीआई के अनुसार मई में महंगाई में बढ़ोतरी चौंकाने वाली रही है। उनके मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में कमी से सीपीआई को कम करने में मदद मिलेगी।

ये है जीडीपी का अनुमान

आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी का अनुमान 9.5 प्रतिशत का जताया है। श्री दास ने बतया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था उबर रही है। वैक्सिनेशन बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों की भी रफ्तार बढ़ रही है।

मोदी सरकार में रेपो रेट की हिस्ट्री

काफी रोचक है। पूरे मोदी सरकार के कार्यकाल में यह दर कभी उतना नहीं रही जितनी दर ठीक मोदी सरकार के शपथ के ठीक पहले थी। जब मोदी सरकार ने कार्यकाल संभाला तो रेपो रेट की दर 8 फीसदी थी, जो फिर कभी उतनी नहीं हुई है।

RBI का बड़ा फैसला, रेपो और रिवर्स रेपो रेट नहीं बदला

ये है रेपो रेट का सफर

-4 जून 21 को 4 फीसदी
-7 अप्रैल 21 को 4 फीसदी
-5 फरवरी 21 को 4.00 फीसदी
-4 दिसंबर 20 को 4.00 फीसदी
-9 अक्टूबर 20 को 4.00 फीसदी
-6 अगस्त 20 को 4.00 फीसदी
-22 मई 2020 को 4.00 फीसदी
-27 मार्च 2020 को 4.40 फीसदी
-4 अक्टूबर 2019 को 5.15 फीसदी
-7 अगस्त 2019 को 5.40 फीसदी
-6 जून 19 को 5.75 फीसदी
-04 अप्रैल 19 को 6.00 फीसदी
-07 फरवरी 19 को 6.25 फीसदी
-05 दिसंबर 18 को 6.50 फीसदी
-05 अक्टूबर 18 को 6.50 फीसदी
-01 अगस्त 18 को 6.50 फीसदी
-06 जून 18 को 6.25 फीसदी
-05 अप्रैल 18 को 6.00 फीसदी
-07 फरवरी 18 को 6.00 फीसदी
-06 दिसंबर 17 को 6.00 फीसदी
-04 अक्टूबर 17 को 6.00 फीसदी
-02 अगस्त 17 को 6.00 फीसदी
-08 जून 17 को 6.25 फीसदी
-06 अप्रैल 17 को 6.25 फीसदी
-08 फरवरी 17 को 6.25 फीसदी
-07 दिसंबर 16 को 6.25 फीसदी
-04 अक्टूबर 16 को 6.25 फीसदी
-05 अप्रैल 16 को 6.50 फीसदी
-29 सितंबर 15 को 6.75 फीसदी
-02 जनवरी 15 को 7.25 फीसदी
-04 मार्च 15 को 7.50 फीसदी
-15 जनवरी 15 को 7.75 फीसदी
-28 जनवरी 14 को 8.00 फीसदी

मॉनिटरी पॉलिसी में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का मतलब

रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे, जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह।

रिवर्स रेपो रेट
जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे।

सीआरआर
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत हरेक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो या नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं।

एसएलआर
जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है। आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बगैर नकदी की तरलता कम करना चाहता है तो वह सीआरआर बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम बचती है।

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English summary

RBI decided not to change repo rate and reverse in MPC meeting on 6th August

RBI has decided not to make any change in the repo rate and reverse repo rate in the meeting of the Monetary Committee held on 6 August 2021. Now the repo rate will remain at 4 percent and the reverse repo rate at 3.35 per cent.
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