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Q1 2021-22 : मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और निजी खपत में हुई बढ़त, लो-बेस रही वजह

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नई दिल्ली, अगस्त 31। लो-बेस इफेक्ट के चलते वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और निजी खपत दोनों में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से 31 अगस्त को जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के अनुसार भारत के विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर) ने अप्रैल-जून में 49.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। विनिर्माण सकल मूल्य वर्धित (ग्रॉस वैल्यू एडेड या जीवीए) पहली तिमाही में 5.43 लाख करोड़ रु रहा। हालाँकि यह अभी भी कोविड-19 से पहले के स्तरों की तुलना में कम रहा। ये 2019-20 की पहली तिमाही के मुकाबले 4.77 प्रतिशत कम रहा।

 

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बेहतर हुए हालात

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महामारी की चपेट में आने से पहले ही विनिर्माण सेक्टर में गिरावट जारी थी। फिर देश में लगे लॉकडाउन के बाद यह और बुरी तरह प्रभावित हुआ। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में 36 प्रतिशत की गिरावट के बाद, जिसके पीछे अहम वजह लॉकडाउन है, विनिर्माण जीवीए में दूसरी तिमाही में रिकवरी हुई, जिसमें यह केवल 1.5 प्रतिशत घटा। इसके बाद तीसरी तिमाही में इसमें 1.7 फीसदी और 6.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

प्राइवेट कंजम्पशन और सरकारी खर्च
 

प्राइवेट कंजम्पशन और सरकारी खर्च

वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडीचर (निजी अंतिम उपभोग व्यय) 17.83 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की इसी तिमाही से अधिक है, लेकिन अभी भी 2019-20 के स्तर से कम है। कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू खर्च में 9.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि 2019-20 में यह 5.5 फीसदी बढ़ा था। बात करें सरकारी खर्च की तो इसमें 4.77 प्रतिशत की गिरावट आई। जबकि वित्त वर्ष 2020 में इनमें 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बता दें कि केंद्र ने अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने की उम्मीद में कई योजनाओं की घोषणा की थी, मगर सरकारी खर्च नहीं बढ़ा।

औद्योगिक उत्पादन है बहुत अहम

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वार्षिक आधार पर वित्त वर्ष 2020-21 में विनिर्माण सेक्टर में 7.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जबकि 2019-20 में गिरावट सिर्फ 2.4 फीसदी रही थी। आपको बता दें कि एक प्रमुख कारक जिसे जीडीपी और जीवीए की गणना करते समय ध्यान में रखा जाता है, वह औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) है, क्योंकि विनिर्माण क्षेत्र आईआईपी का 77.63 प्रतिशत है। अप्रैल में लो-बेस इफेक्ट के कारण देश के औद्योगिक उत्पादन में 130 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी।

English summary

Q1 2021-22 Growth in manufacturing sector and private consumption reason is low base

Manufacturing Gross Value Added stood at Rs 5.43 lakh crore in the first quarter. However, it still remained lower than the pre-Covid-19 levels.
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