PMC Bank : ग्राहकों को मिली राहत, मगर 6 महीने के लिए बढ़े प्रतिबंध
नयी दिल्ली। संकट से घिरे पीएमसी बैंक के ग्राहकों के लिए राहत की खबर आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने धोखाधड़ी से पीड़ित पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी सीमा (Withdrawal Limit) 50,000 रुपये से बढ़ा कर 1 लाख रुपये कर दी है। हालांकि आरबीआई ने बैंक पर लगे प्रतिबंध 6 महीनों के लिए और बढ़ा दिए हैं। बैंक पर लगे प्रतिबंध, जो पहले 23 जून तक वैलिड थे, अब 22 दिसंबर 2020 तक लागू रहेंगे। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंक की लिक्विडिटी पॉजिशन की समीक्षा, जमाकर्ताओं को भुगतान करने की क्षमता और जमाकर्ताओं की मौजूदा कोरोना संकट के दौरान आने वाली कठिनाइयों को कम करने में मदद करने के लिए प्रति ग्राहक निकासी की सीमा को बढ़ा कर 1 लाख रुपये करने का फैसला किया है। इस छूट से बैंक के 84 प्रतिशत से अधिक ग्राहक अपना पूरा पैसा ही बैंक से निकाल सकेंगे।
क्या है पीएमसी बैंक का संकट
पीएमसी बैंक में वित्तीय गड़बड़ियों और रियल एस्टेट डेवलपर एचडीआईएल को दिए गए कर्ज को छिपाने और गलत जानकारी देने का का पता चलने के बाद आरबीआई ने 23 सितंबर 2019 को बैंक पर 6 महीने का नियामक प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में आरबीआई ने नया सर्कुलर जारी कर पीएमसी बैंक पर नियामक प्रतिबंध 23 मार्च 2020 से 22 जून 2020 तक तीन महीने के लिए और बढ़ा दिए थे, जिन्हें अब 22 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। पीएमसी बैंक पर लगे प्रतिबंधों में बैंक को लोन देने से रोकना और ग्राहकों को सीमित पैसे निकालना शामिल था, जिसमें बाद में ढील दी गई। आरबीआई ने बैंक के बोर्ड और प्रबंधन को भी हटा दिया था और आरबीआई के एक पूर्व अधिकारी को बैंक में प्रशासक नियुक्त किया गया।
इन बैंकों के ग्राहकों को भी मिली राहत
आरबीआई ने तीन अन्य बैंकों के मामले में भी निकासी की सीमा बढ़ाई है। इन बैंकों पर भी पहले से प्रतिबंध लगे हुए हैं। इनमें केरल मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, हिंदू कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियामिथा शामिल हैं। मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, हिंदू कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ग्राहकों के लिए लिमिट 50000 रु कर दी गई है। जबकि श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियामिथा के ग्राहक 1 लाख रु तक निकाल सकते हैं।
अब तक 44 बैंकों पर कार्रवाई
2020 में अब तक आरबीआई 44 बैंकों को निगरानी में ले चुका है। इसके पीछे मुख्य कारण फाइनेंशियल स्थिति में गड़बड़ी और प्रूडेंशियल नियमों का पालन न करना शामिल है। इनमें उन बैंकों के मामलों को भी शामिल किया गया है जिनकी व्यावसायिक गतिविधियों पर आरबीआई ने नए प्रतिबंध लगाए हैं। साथ ही वे मामले भी शामिल हैं जिनमें कुछ बैंकों पर पहले से कई तरह प्रतिबंध लगे हुए थे और उन्हें बढ़ा दिया गया है। सिर्फ अप्रैल में ही आरबीआई ने 9 सहकारी बैंकों पर कार्रवाई की। इसमें कमजोर वित्तीय खातों के कारण 17 अप्रैल को मापुसा का लाइसेंस रद्द करना शामिल रहा। मई में 8 ऐसे मामले सामने आए जिनमें आरबीआई ने संकटग्रस्त सहकारी बैंकों पर कार्रवाई की। 2 मई को आरबीआई ने एक और बैंक को बंद करने का निर्देश दिया। इस बार मुंबई स्थित सीकेपी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द हुआ।
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