PM Modi ने लॉन्च किया 'ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन प्लेटफॉर्म', जानिए किसे मिलेगा फायदा
नयी दिल्ली। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुए एक कार्यक्रम में ईमानदार करदाताओं को फायदा पहुंचाने के लिए एक विशेष प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। 'ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन - ऑनरिंग द ऑनेस्ट' नामक इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य अनुपालन को आसान बनाना और रिफंड में तेजी लाना है, जिसका सीधा फायदा ईमानदार करदाताओं को मिलेगा। पीएम मोदी ने कार्यक्रम में बताया कि इस प्लेटफॉर्म की तीन मुख्य विशेषताएं फेसलेस असेसमेंट, फेसलेस अपील और करदाताओं का चार्टर हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इससे टैक्स सिस्टम को लोगों पर केंद्रित और जनता के लिए अनुकूल बनाने पर ध्यान दिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज के दिन को टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन कहा है।
जरूरी था टैक्स सिस्टम में बदलाव
पीएम मोदी ने टैक्स सिस्टम में बदलाव को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि भारत के टैक्स सिस्टम में सुधार की जरूरत थी, क्योंकि ये सिस्टम गुलामी के समय बनने के बाद धीरे-धीरे डेवलप हुआ। इसमें थोड़े-बहुत बदलाव किए गए, लेकिन ज्यादातर सिस्टम का फॉर्मेट वही रहा। उन्होंने कहा कि सुधार एक सतत प्रक्रिया है। हम एक सुधार के बार रुक नहीं सकते। आज के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने उन लोगों से जो टैक्स दे सकते हैं निवेदन किया किया वे आगे आएं और टैक्स रिटर्न दाखिल करें। हमें नए भारत, आत्मनिर्भर भारत के पुन: विकास की दिशा में दुनिया को आगे बढ़ाना चाहिए।
दर्जनों टैक्स की जगह आया जीएसटी
पीएम के अनुसार जहां जटिलता होती है वहां अनुपालन मुश्किल है। अगर कानून स्पष्ट है तो करदाता खुश हैं साथ ही भी। जैसा कि अब दर्जनों टैक्स की जगह जीएसटी आ गया है। प्रोसेस की जटिलताओं के साथ देश में टैक्स को भी कम किया गया है। अब 5 लाख रुपये तक की आय पर जीरो टैक्स है। बाकी स्लैब में भी टैक्स कम हो गया है। पीएम ने कहा कि हम कॉर्पोरेट टैक्स के मामले में दुनिया के सबसे कम टैक्स लेने वाले देशों में से एक हैं।
टेक्नोलॉजी निभाएगी अहम भूमिका
पीएम ने कहा कि अभी हम जिस शहर में रहते हैं वहां का टैक्स डिपार्टमेंट सब कुछ संभालता है। अब यह खत्म हो जाएगा। टेक्नोलॉजी के साथ जांच के मामलों को रेंडम्ली आईटी विभाग के अधिकारियों को सौंपा जाएगा। एल्गोरिदम तय करेगा कि किसी मामले को कौन संभालेगा। टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में एक बड़ा कदम है। 2012-13 में दाखिल किए गए सभी कर रिटर्न में से 0.94 प्रतिशत मामलों की जांच की गई। वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 0.26 प्रतिशत पर आ गया। यानी मामलों की जांच लगभग 4 गुना कम हो गई है। यह साबित करता है कि बदलाव कितना बड़ा है। पिछले 6 वर्षों में भारत ने टैक्स प्रशासन में शासन के एक नए मॉडल को देखा है।
बढ़ी है टैक्स देने वालों की संख्या
पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र द्वारा पेश किए गए सभी सुधारों के बीच पिछले 6-7 वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगभग ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है। हालाँकि यह भी सच है कि 130 करोड़ आबादी वाले देश में यह अभी भी बहुत कम है।
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