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दुनिया के पास खत्म हो रही कच्चा तेल रखने की जगह, जानिये क्यों

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नयी दिल्ली। कोरोनावायरस के संकट के बीच घटी मांग के कारण दुनिया में कच्चे तेल के भंडार भरते जा रहे हैं। इससे दुनिया के पास कच्चे तेल को रखने की जगह भी खत्म होती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक अगले तीन महीनों में कच्चे तेल के भंडार भर जाएंगे और उनमें अधिक तेल रखने की क्षमता खत्म हो जाएगी। बता दें कि कोरोनोवायरस प्रकोप के कारण मांग में गिरावट से तेल बाजार तेजी से नीचे गिरा। साथ ही ओपेक और रूस सहित अन्य साथी तेल वाले देशों के बीच मतभेद होने के बाद सऊदी अरब ने भारी छूट पर कच्चा तेल में उतारना शुरू कर दिया। इससे कच्चे तेल की कीमतें कई सालों के निचले स्तर पर आ गईं। इसके बाद कोरोनावायरस के कारण कच्चे तेल की मांग बहुत अधिक घट गयी।

क्या कहती है रिपोर्ट

क्या कहती है रिपोर्ट

फाइनेंशियल पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएचएस मार्किट का कहना है कि आपूर्ति और मांग के मौजूदा दरों का मतलब है कि 2020 की पहली छमाही में 1.8 अरब बैरल तेल का भंडार दुनिया में होगा। जबकि करीब 1.6 अरब बैरल तेल स्टोरेज की क्षमता अभी उपलब्ध है। ऐसे में जून तक तेल उत्पादक देशों को उत्पादन में कटौती करनी पड़ेगी, क्योंकि नया भंडार रखने की जगह नहीं बचेगी। गुरुवार को पाकिस्तान ने कच्चे तेल और ईंधन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इसके भंडार गृह भरे हुए हैं।

मांग से अधिक आपूर्ति
 

मांग से अधिक आपूर्ति

दूसरी तिमाही में प्रति दिन आपूर्ति मांग के मुकाबले 1.24 करोड़ बैरल अधिक हो सकती है। आईएचएस के अनुसार व्यापारियों, बैंकों और सलाहकारों ने भी बम्पर सरप्लस का अनुमान लगाया है। दुनिया के बड़े तेल कारोबारियों में से एक Vitol के मुताबिक कच्चे तेल की मांग में एक साल के पहले मुकाबले प्रति दिन 2 करोड़ बैरल की गिरावट आयी है। जानकार कहते हैं कि कच्चे तेल का उत्पादन या तो रोका जाएगा या इसमें भारी कटौती की जाएगी। कितना और कब ये समय पर निर्भर करता है। अमेरिका में डब्ल्यूटीआई कैश रोल दिसंबर 2008 के बाद से सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है, क्योंकि ऐसा अनुमान है कि अमेरिकी वायदा के डिलिवरी पॉइंट पर आने वाले हफ्तों और महीनों में तेल का भंडारण जरूरत से ज्याद होगा।

रूस के पास सबसे कम क्षमता

रूस के पास सबसे कम क्षमता

दुनिया के तीन सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक रूस के पास केवल 8 दिनों की स्टोरेज क्षमता है, जो सबसे कम है। ये आंकड़े उत्पादन की मात्रा पर आधारित हैं जो निर्यात किए जाने पर संग्रहीत किए जा सकते हैं। सऊदी अरब की क्षमता 18 दिन और अमेरिका की 30 है। अफ्रीका का सबसे बड़ा उत्पादक नाइजीरिया सबसे अधिक असुरक्षित है। आईएचएस ने कहा कि 2020 की पहली तिमाही में 19 लाख बैरल दैनिक उत्पादन इसकी स्टोरेज क्षमता को 1.5 से दो दिनों में भर देगा। बड़ी समस्या ये है कि ओपेक अभी भी उच्च स्तर पर उत्पादन कर रहा है।

 

कच्चा तेल : 2002 के बाद पहली बार 25 डॉलर प्रति बैरल तक गिरे दामकच्चा तेल : 2002 के बाद पहली बार 25 डॉलर प्रति बैरल तक गिरे दाम

English summary

Place of crude oil ending up with the world know why

Saudi Arabia started venturing into crude oil at a huge discount after differences between OPEC and other partner oil countries, including Russia. This brought crude oil prices down to several years low.
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