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पद्म भूषण महाशय धर्मपाल गुलाटी : जानिए कितनी संपत्ति छोड़ कर गए, हैरान रह जाएंगे

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नयी दिल्ली। मशहूर मसाला मसाला ब्रांड एमडीएच (Mahashian Di Hatti) के मालिक और सीईओ 'महाशय' धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार को 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मसाला किंग के नाम से मशहूर धर्मपाल गुलाटी का पिछले तीन हफ्तों से दिल्ली के माता चानन देवी अस्पताल में इलाज चल रहा था। बुधवार रात उनकी हालत बिगड़ गई और गुरुवार की सुबह कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनका निधन हो गया। एक समय वे दिल्ली की सड़कों पर तांगा चलाया करते थे, मगर मसालों के कारोबार से उनकी किस्मत ऐसी चमकी कि यही मसाले उनके लिए सोना बन गए। अपने मसालों के कारोबार को जमाने के लिए घर्मपाल गुलाटी ने कड़ी मेहनत की थी। वे करोड़ों की संपत्ति छोड़ कर गए हैं।

 

1500 रु से करोड़ों रु तक का सफर

1500 रु से करोड़ों रु तक का सफर

धर्मपाल गुलाटी की शुरुआत 1500 रु से हुई थी, जो उन्हें अपने पिता से मिले थे। इसमें से 650 रु में उन्होंने एक तांगा खरीदा था ताकि परिवार चला सकें। पर आने वाले जीवन में उन्होंने खूब दौलत कमाई। वे अपने पीछे 940 करोड़ रु की संपत्ति छोड़ कर गए हैं। उन्हें पांचवी कक्षा से ही स्कूल छोड़ना पड़ा था।

पाकिस्तान में हुआ था जन्म
 

पाकिस्तान में हुआ था जन्म

'महाशय' के नाम से मशहूर गुलाटी का जन्म 1919 में सियालकोट में हुआ था। ये शहर आज पाकिस्तान के हिस्से वाली पंजाब में है। वहाँ उनके पिता ने एक छोटी सी दुकान शुरू की थी। मगर 1947 में बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उनके परिवार ने दिल्ली का रुख किया। हालांकि दिल्ली आने से पहले वे कुछ समय अमृतसर के रिफ्यूजी कैंप में भी रहे थे। गुलाटी यहां तांगा चलाया करते थे। मगर उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उन्होंने 1953 में दिल्ली के मशहूर इलाके चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली, जिसका नाम महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) रखा। इस दुकान से उन्होंने मसाले बेचने शुरू किए।

कहां से की कंपनी की शुरुआत

कहां से की कंपनी की शुरुआत

करोल बाग में एक छोटी सी दुकान से 'महाशय' धर्मपाल गुलाटी ने एमडीएच को भारत के प्रमुख मसालों को ब्रांड का रूप दिया। उन्होंने 1959 में आधिकारिक तौर पर अपनी कंपनी की स्थापना की। फिर एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए उन्होंने कीर्ति नगर में जमीन खरीदी। वर्तमान में एमडीएच, जो लगभग 50 विभिन्न प्रकार के मसाले बनाती है, की देश भर में 15 फैक्ट्रियां हैं और ये दुनिया भर में अपने उत्पाद बेचती हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार धर्मपाल गुलाटी एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ थे।

पिछले साल मिला था पद्म भूषण का सम्मान

पिछले साल मिला था पद्म भूषण का सम्मान

2019 में भारत सरकार ने गुलाटी को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया था। उनका मसालों का कारोबार भारत में खूब जमा और फिर उन्होंने दूसरे कई देशों में निर्यात भी शुरू किया। वर्तमान में एचडीएच मसाले यूके, यूरोप, यूएई, कनाडा सहित दुनिया के विभिन्न भागों में निर्यात किए जाते हैं।

किन चीजों के थे शौकीन

किन चीजों के थे शौकीन

गुलाटी ने महाशय चुन्नी लाल चैरिटेबल ट्रस्ट को अपने वेतन का लगभग 90 फीसदी दान में दिया। ये ट्रस्ट दिल्ली में 250 बेड के अस्पताल के साथ-साथ झुग्गियों में रहने वालों के लिए चार स्कूलों और एक मोबाइल अस्पताल संचालित करता है। घर्मपाल गुलाटी को तीन चीजों का खास शौक था। वे कबूतरबाजी, पहलवानी और पतंग उड़ाना पसंद था। वे पंजाबी खानों के शौकीन थे।

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English summary

Padma Bhushan Mahashay Dharampal Gulati Know how much property he left you will be surprised

From a small shop in Karol Bagh, 'Mahashay' Dharampal Gulati gave MDH the brand of India's leading spices. He officially established his company in 1959.
Story first published: Thursday, December 3, 2020, 15:05 [IST]
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