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सरकारी खर्च में हुई केवल 11 फीसदी की बढ़ोतरी, ये हैं आंकड़े

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नयी दिल्ली। सरकार ने कोरोना के आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। मगर आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जुलाई में केंद्र सरकार का कुल खर्च लगभग 1.07 लाख करोड़ रुपये या करीब 11.3 प्रतिशत बढ़ा। पिछले साल अप्रैल-जुलाई में 9.47 लाख करोड़ रुपये की तुलना में इस साल समान अवधि में सरकारी खर्च 10.54 लाख करोड़ रुपये रहा। इस खर्च का अधिकांश हिस्सा रेनेव्यू अकाउंट पर रहा, जैसे कि सैलेरी भुगतान और दूसरे रेगुलर खर्च। जीडीपी में रिकॉर्ड गिरावट के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सहित एक्सपर्ट्स ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकारी खर्च पर जोर देने की जरूरत है। अब तक सरकार ने आपूर्ति पक्ष के मुद्दों को हल करने की कोशिश की है, लेकिन मांग को बढ़ाने के लिए एक बड़े कदम की जरूरत है। इस खर्च के लिए सरकारी कंपनियों में तेजी से हिस्सेदारी बिक्री के माध्यम पैसा जुटाना चाहिए।

क्या हो सरकार का प्लान

क्या हो सरकार का प्लान

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक टॉप सरकारी अधिकारी के मुताबिक सरकारी खर्च में जीडीपी के आधा फीसदी (या 1 लाख करोड़ रुपये) की बढ़ोतरी इस स्थिति में काफी कम है जब जीडीपी में 24 प्रतिशत की गिरावट आई है। उनके मुताबिक अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए एक बड़े कदम की जरूरत है। लॉकडाउन के शुरुआती चरणों के दौरान गरीबों को इनकम सपोर्ट देना प्राथमिक उद्देश्य था। पिछले दो-तीन महीनों में अर्थव्यवस्था खुली है इसलिए सरकार को इसे पटरी पर लाने के लिए युद्ध स्तर पर खर्च करने की जरूरत है।

20 लाख करोड़ रु का राहत पैकेज
 

20 लाख करोड़ रु का राहत पैकेज

20 लाख करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर भारत राहत पैकेज आरबीआई द्वारा पेश किए गए लिक्विडिटी उपायो, गरीबों और जरूरतमंदों को कैश ट्रांसफर, साथ ही मध्यम अवधि के संरचनात्मक उपायों पर निर्भर करता है। लेकिन राजकोषीय सपोर्ट कम रहा है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान भारत सरकार द्वारा किया गया कुल व्यय 10,54,209 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से 9,42,360 करोड़ रुपये राजस्व खाते और 1,11,849 करोड़ पूंजी खाते पर खर्च हुए। कुल राजस्व व्यय में से 1,98,584 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान और 1,04,638 करोड़ रुपये सब्सिडी के लिए अदा किए गए।

उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसा देना होगा

उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसा देना होगा

जानकार कहते हैं कि सरकार को उपभोक्ता की जेब में अधिक पैसा डालने की आवश्यकता है और यह टैक्स कटौती के रूप में नहीं होना चाहिए। पिरामिड (आर्थिक वर्गीय ढांचा) के निचले हिस्से के लोग प्रभावित होते हैं और उपभोग को बढ़ावा देने की जरूरत है। यहां तक कि आरबीआई ने पिछले महीने जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2019-20 में भी कहा कि निवेश गतिविधि और कमजोर हो गई है। आरबीआई ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए संपत्ति बिकवाली और प्रमुख बंदरगाहों के निजीकरण के जरिए लक्षित सार्वजनिक निवेश का सुझाव दिया है।

GDP में भारी गिरावट के पीछे क्या है इकोनॉमिक गुणा-गणित, यहां समझिएGDP में भारी गिरावट के पीछे क्या है इकोनॉमिक गुणा-गणित, यहां समझिए

English summary

Only 11 percent increase in government spending these figures

According to the latest data released by the Finance Ministry, the total expenditure incurred by the Government of India during April-July 2020 was Rs 10,54,209 crore.
Story first published: Thursday, September 3, 2020, 13:01 [IST]
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