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कभी रिलायंस भी थी Startup, जानें कैसे शुरू हुआ था कारोबार

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नई दिल्ली, सितंबर 10। रिलायंस इंडस्ट्रीज का नाम सुनते ही आपके दिमाग में एक ऐसी कंपनी का ख्याल आता होगा जो कई कारोबारों में लगी हुई है। ऐसा होना भी चाहिए। रिलायंस देश की सबसे बड़ी कंपनी (मार्केट कैपिटल के लिहाज से) भी है। इसकी मार्केट कैपिटल 17.39 लाख करोड़ रु है। मगर रिलायंस एक दिन में इतनी बड़ी कंपनी नहीं बनी। बल्कि एक समय यह भी स्टार्टअप थी। हाल ही में रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी खुद ये बात कही। यदि आप कोई स्टार्टअप शुरू करने की सोच रहे हैं या किसी स्टार्टअप को पहले से चला रहे हैं तो रिलायंस की कहानी आपके लिए काफी प्रेरणा देने वाली हो सकती है। आगे जानिए कि कैसा रहा है रिलायंस का सफर।

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ऐसे हुई थी शुरुआत

ऐसे हुई थी शुरुआत

इस कंपनी की स्थापना धीरूभाई अंबानी और चंपकलाल दमानी ने 1960 में रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन के नाम से की थी। 1965 में, इन दोनों दिग्गजों के बीच साझेदारी समाप्त हो गई और धीरूभाई ने फर्म का पॉलिएस्टर बिजनेस जारी रखा। 1966 में, रिलायंस टेक्सटाइल इंजीनियर्स लिमिटेड को महाराष्ट्र में शुरू किया गया। कंपनी ने उसी वर्ष गुजरात के नरोदा में एक सिंथेटिक कपड़ा मिल की स्थापना की। फिर 8 मई 1973 को इसे नाम दिया गया रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज लिमिटेड।

धीरूभाई का बड़ा सपना

धीरूभाई का बड़ा सपना

1975 में, रिलायंस ने अपने बिजनेस को टेक्सटाइल में फैलाया और बाद के वर्षों में "विमल" इसका प्रमुख ब्रांड बन गया। यहां बताना जरूरी है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की अपनी वेबसाइट के अनुसार धीरूभाई अंबानी 1957 में ए. बेसे एंड कंपनी, अदन, यमन के साथ काम करने के बाद भारत लौट आए। उन्होंने मुंबई के मस्जिद बंदर में 500 वर्ग फुट के एक छोटे से ऑफिस से यार्न का कारोबार शुरू किया, मगर भारत की सबसे बड़ी कंपनी स्थापित करने का सपना देखा।

आईपीओ ने मचाया तहलका

आईपीओ ने मचाया तहलका

1977 में, रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज का आईपीओ आया। उस आईपीओ ने भारत में इक्विटी बाजार का रुख हमेशा के लिए बदल दिया। रिलायंस का आईपीओ इतिहास रचने वाल रहा था। रिलायंस की ग्रोथ महत्वाकांक्षाओं को मजबूत करते हुए आईपीओ इश्यू को सात गुना सब्सक्राइब किया गया। जैसा कि हमने ऊपर जिक्र किया कि रिलायंस ने गुजरात के नरोदा में एक मिल स्थापित की, जिससे रिलायंस की बैकवार्ड इंटीग्रेशन यात्रा शुरू हुई। मुकेश अंबानी ने रिकॉर्ड 18 महीनों में पातालगंगा में रिलायंस की पहली मेगा मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट की स्थापना का नेतृत्व किया।

1985 में फिर बदला गया नाम

1985 में फिर बदला गया नाम

1985 में कंपनी का नाम रिलायंस टेक्सटाइल्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड से बदल कर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया गया। 1985 से 1992 के वर्षों के दौरान, कंपनी ने पॉलिएस्टर यार्न के उत्पादन के लिए अपनी स्थापित क्षमता को प्रति वर्ष 1,45,000 टन से अधिक तक बढ़ाया। रिलायंस की बैकवार्ड इंटीग्रेशन यात्रा जारी थी। 1991 में चालू होने वाले हजीरा संयंत्र ने रिलायंस के पॉलिएस्टर का दुनिया का सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड प्रॉड्यूसर बनने की नींव रखी।

सबसे बड़ी जमीनी रिफाइनरी शुरू की

सबसे बड़ी जमीनी रिफाइनरी शुरू की

2000 में, रिलायंस ने रिकॉर्ड 36 महीनों में दुनिया की सबसे बड़ी जमीनी रिफाइनरी शुरू की - जामनगर पेट्रोकेमिकल्स और एकीकृत रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स। 2002 में, रिलायंस ने इंफोकॉम बिजनेस में प्रवेश किया और भारत में मोबाइल टेलीफोनी में एक क्रांति लाई। 2005 में, रिलायंस ने एक डीमर्जर के माध्यम से अपने व्यवसायों को रीऑर्गेनाइज करने का रणनीतिक फैसला लिया। बिजली उत्पादन और वितरण, वित्तीय सेवाओं और दूरसंचार सेवाओं को अलग-अलग कंपनियों में अलग कर दिया गया है। 2004 में, रिलायंस फॉर्च्यून ग्लोबल 500 सूची में लिस्ट होने वाली पहली और एकमात्र निजी भारतीय कंपनी बनी। रिलायंस पहली निजी क्षेत्र की कंपनी है जिसे मूडीज, स्टैंडर्ड एंड पूअर्स सहित अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग दी गई।

हाइड्रोकार्बन का उत्पादन शुरू

हाइड्रोकार्बन का उत्पादन शुरू

2009 में, रिलायंस ने अपने केजीडी6 ब्लॉक में हाइड्रोकार्बन का उत्पादन शुरू किया। कंपनी ने अपनी खोज के केवल दो वर्षों में, इसे दुनिया की सबसे तेज ग्रीन-फील्ड डीपवाटर ऑयल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बना दिया। फिर रिलायंस रिटेल 2014 में इनकम के हिसाब से सबसे बड़ी रिटेलर बन गयी, जो देश भर में लाखों लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करती है और भारत के हर कोने में सस्ती कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय एक्सपीरियंस पेश करती है। फिर आई रिलायंस जियो, जो अत्याधुनिक वायरलेस ब्रॉडबैंड 4जी सेवाओं के माध्यम से एक ऑल इंडिया डिजिटल क्रांति की शुरुआत करने में कामयाब रही। 2019 में रिलायंस 10 ट्रिलियन रुपये की मार्केट कैपिटल वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई।

स्टार्टअप से दिग्गज कंपनी

स्टार्टअप से दिग्गज कंपनी

रिलायंस के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी कहते हैं, "केवल चार दशकों में, रिलायंस एक छोटे स्टार्टअप से दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे प्रशंसित कंपनियों में से एक बन गई है। 2020 में, रिलायंस दुनिया में 48वीं सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में सामने आई।

English summary

once Reliance was a startup know how the business was started

If you are thinking of starting a startup or are already running a startup, then the story of Reliance can be very inspiring for you. Know further how has been the journey of Reliance.
Story first published: Saturday, September 10, 2022, 13:13 [IST]
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