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नीरव मोदी को लाया जा सकेगा भारत, यूके की अदालत का फैसला

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नयी दिल्ली। भगौड़े नीरव मोदी को लेकर एक अहम खबर सामने आई है। नीरव मोदी को भारत लाया जा सकेगा। ये फैसला यूके की एक अदालत ने दिया है। बता दें कि नीरव मोदी 14000 करोड़ रु के पीएनबी घोटाले में आरोपी है। यूके की अदालत ने कोरोना महामारी और भारतीय जेल की स्थितियों के दौरान नीरम मोदी के मानसिक स्वास्थ्य के बिगड़ने जैसे तर्कों को खारिज कर दिया है। जिला न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने कहा कि मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि नीरव मोदी का भारत में प्रत्यर्पण मानवाधिकारों के तहत है।

भारत में चलेगा मुकदमा

भारत में चलेगा मुकदमा

न्यायाधीश ने कहा इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अगर नीरव मोदी को प्रत्यर्पित किया गया तो उसे न्याय नहीं मिलेगा। न्यायाधीश ने भारत की दलीलों से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि भारत में ट्रायल का सामना करने के लिए नीरव मोदी का मामला मजबूत है। उन्होंने कहा कि मामले में कई आरोपी भारत में ट्रायल का सामना कर रहे हैं। उन्होंने संतुष्टि जताई कि ऐसा सबूत है जिससे नीरव मोदी को दोषी ठहराया जा सकता है। न्यायाधीश के अनुसार पहली नजर में ये मामला मनी लॉन्ड्रिंग का लगता है।

भारत ने पेश किए सबूत

भारत ने पेश किए सबूत

इस पूरे मामले में भारत की तरफ से बहुत से सबूत पेश किए गए हैं। न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें भारत से सबूत के 16 वॉल्यूम्स मिले हैं। 49 वर्षीय नीरव मोदी वेस्टमिंस्टर जेल से मजिस्ट्रेट कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ। जिला अदालत की इस फैसले को ब्रिटेन की गृह सचिव प्रीति पटेल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा, जिसके परिणाम के आधार पर उच्च न्यायालय में अपील की संभावना है।

कब हुई थी गिरफ्तारी

कब हुई थी गिरफ्तारी

नीरव मोदी को 19 मार्च 2019 को प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार किया गया था। मजिस्ट्रेट और उच्च न्यायालय दोनों लेवल पर जमानत मांगने के उसके कई प्रयासों को बार-बार ठुकरा दिया गया। नीरव मोदी को दो तरफ से आपराधिक कार्यवाहियों का सामना करना है। इनमें एक मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो या सीबीआई के पास है, जो पीएनबी में लोन घोटाले का है। इसमें अवैध रूप से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग या लोन एग्रीमेंट प्राप्त किए गए। दूसरा मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास है, जिसमें इस पैसे को लॉन्ड्री की बात है।

सबूत मिटाने का आरोप

सबूत मिटाने का आरोप

नीरव मोदी पर गवाहों को डराने और सबूतों से छेड़छाड़ को दो अतिरिक्त आरोप भी लगे हैं, जिन्हें सीबीआई के मामले में जोड़ा गया था। क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने भारत सरकार की ओर से बहस करते हुए तर्क दिया है कि भारत में नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को रोकने के लिए मानवाधिकार की कोई समस्या नहीं हैं। सीपीएस ने दावा किया है कि नीरव मोदी ने बैंकिंग अधिकारियों के साथ साजिश में पीएनबी के लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का फर्जी इस्तेमाल करने के लिए अपनी फर्मों डायमंड्स आर अस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स का इस्तेमाल किया।

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English summary

Nirav Modi can be brought to India UK court verdict

A UK court has rejected arguments such as the corona epidemic and Neram Modi's mental health deterioration during Indian prison conditions.
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