1 अप्रैल से बदल जाएगी सबकी सैलरी, जानिए मोदी सरकार का फैसला
एक अप्रैल 2021 आने में बस कुछ ही दिन बचे है। आने वाला महीना आपके जेब पर सीधा असर डालने वाला है। सैलरी का नया नियम 1 अप्रैल से लागू होने जा रहा है।
नई दिल्ली: एक अप्रैल 2021 आने में बस कुछ ही दिन बचे है। आने वाला महीना आपके जेब पर सीधा असर डालने वाला है।सैलरी का नया नियम 1 अप्रैल से लागू होने जा रहा है। बता दें कि नई वेतन कोड के मुताबिक, आपको हर महीने मिलने वाली पूरी रकम में वेतन का हिस्सा 50% होना चाहिए। ध्यान रहे कि वेतन के दायरे में मूल वेतन, महंगाई भत्ता और प्रतिधारण भत्ता आता है। यानी, इन तीन को जोड़कर मिलने वाली कुल राशि महीने में मिलने वाली कुल रकम की आधी होनी चाहिए। शेष आधी राशि में अन्य भत्ते शामिल होंगे। लेकिन अगर यह राशि 50% से अधिक हो गई तो अतिरिक्त रकम वेतन का हिस्सा मान ली जाएगी।
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जानें सैलरी में क्या है टैक्स फ्री
आपके लिए ये जानना जरूरी है कि बेसिक सैलरी, स्पेशल अलाउंस, बोनस आदि पूरी तरह टैक्सेबल हैं। वहीं, फ्यूल और ट्रांसपोर्ट, फोन, अखबार और किताबों आदि के लिए मिल रहे भत्ते पूरी तरह टैक्स फ्री हैं। जबकि एचआरए की गणना का नियम है और उस नियम के तहत एचआरए पूरी तरह या फिर उसका कुछ हिस्सा टैक्स फ्री हो सकता है। वहीं, बेसिक सैलरी के 10% के बराबर एनपीएस कंट्रिब्यूशन भी टैक्स फ्री है, उससे अतिरिक्त रकम पर टैक्स देना होता है। वहीं, ग्रैच्युइटी के मद में 20 लाख रुपये तक की जमा रकम पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। सैलरी स्ट्रक्चर के मुताबिक टेक होम सैलरी की बात करें तो यह 1.14 लाख रुपये यानी कुल सीटीसी का 76.1% जबकि पूरे 18 लाख के पैकेज पर टैक्स की बात करें तो यह 1.10 लाख रुपये या कुल एनुअल सीटीसी का 6.1% होता है। वहीं, आप साल में 1.96 लाख रुपये की बचत कर पाते हैं जो सीटीसी का 10.9% है।
फिलहाल टैक्स फ्री कितना हिस्सा
समझने के लिए मंथली सीटीसी 1.5 लाख रुपये यानी सालाना पैकेज 18 लाख रुपये का है और आप सेक्शन 80C के तहत निवेश पर अधिकतम टैक्स 1.50 लाख रुपये की छूट प्राप्त करते हैं। अगर कंपनी ने आपको सेक्शन 80CCD(2) के तहत एनपीएस का भी लाभ दे रही है तो नियम के मुताबिक, बेसिक सैलरी का 10% एनपीएस में जाता है और वह टैक्स फ्री होता है।
मौजूदा सैलरी स्ट्रक्चर में बेसिक सैलरी सीटीसी का 32% होती है। इस लिहाज से 1.50 लाख की मंथली सीटीसी में बेसिक सैलरी 48,000 रुपये होगी। फिर 50 प्रतिशत यानी 24,000 रुपये एचआरए तो एनपीएस में बेसिक (48,000 रुपये) का 10% यानी, 4,800 रुपये जाएगा। चूंकि बेसिक सैलरी का 12% पीएफ में जाता है तो 5,760 रुपये हर महीने पीएफ में जाएंगे। इस तरह आपकी मंथली 1.50 लाख रुपये की सीटीसी में 82,560 रुपये हो गए।
नए स्ट्रक्चर से सैलरी में बढ़ेगा टैक्सेबल पार्ट
एचआरए बेसिक सैलरी का प्राय 40 से 50% तक हुआ करता है। ऐसे में कुल मासिक रकम का यह 20 से 25 % हिस्सा इसका ही हो जाएगा। अब अगर बेसिक सैलरी, डीए और आरए को मिलकार कुल मासिक रकम का 50% होना अनिवार्य है और 20 से 25% एचआरए होगा तो इसका मतलब है कि कुल मासिक रकम में बाकी भत्तों एवं अन्य मदों में मिलने वाली रकम की हिस्सेदारी घटकर 25-30% रह जाएगी।
जानिए एचआरए पर टैक्स छूट का नियम
आपको एचआरए पर टैक्स छूट का नियम के बारे में जरुर जानना चाहिए।
- एचआरए के मद में मिल रही पूरी रकम
- अगर आप महानगर में काम कर रहे हैं तो बेसिक सैलरी के 50% जबकि महानगर में नहीं हैं तो बेसिक सैलरी के 40% के बराबर की रकम
- आप हर महीने जितना किराया दे रहे हैं, उसमें से बेसिक सैलरी का 10% घटाकर इन तीनों में जो भी रकम सबसे कम है, उतनी रकम टैक्स फ्री हो जाती है।
सैलरी स्ट्रक्चर के मुताबिक आपको एचआरए मद में सालाना 2.88 लाख रुपये मिल रहे हैं, लेकिन आप 2.42 लाख रुपये पर ही टैक्स छूट ले सकते हैं क्योंकि एचआरए कैलकुलेशन रूल की तीन शर्तों के मुताबिक आपको ज्यादा से ज्यादा इसी रकम पर छूट मिल सकती है। इसलिए कि मान लीजिए आप 25,000 रुपये मासिक मकान किराया दे रहे हैं तो आपका सालाना किराया 3 लाख रुपये होगा। नियम के मुताबिक, 3 लाख रुपये में बेसिक सैलरी का 10% यानी, 57,600 रुपये घटाना होगा जो बचकर 2,42,400 रुपये है। आपको इसी रकम पर टैक्स छूट मिलेगी।
नए सैलरी स्ट्रक्चर में मिलेगा ये फायदा
नए सैलरी स्ट्रक्चर की बात करें तो अब 1.50 रुपये मंथली सीटीसी में बेसिक सैलरी 75,000 रुपये अनिवार्य रूप से रहेगी। इस लिहाज से एचआररए 37,500 रुपये (महानगरों के लिए), पीएफ 9,000 रुपये, एनपीएस 7,500 रुपये, फ्यूल एवं ट्रांसपोर्ट 10,000 रुपये, फोन 1,000 रुपये, अखबार और किताबें 1,000 रुपये, बोनस 5,400 रुपये और ग्रैच्युइटी 3,600 रुपये की होगी। ऐसे में आपका एचआरए पार्ट बढ़ गया। आपका मासिक किराया तो वही 25,000 रुपये ही होगा। एचआरए की कुल रकम बढ़ जाने के कारण टैक्स फ्री के अतिरिक्त रकम भी बढ़ेगी और इस तरह टैक्स भी बढ़ेगा।