Anil Ambani के लिए नई मुसीबत, LIC और EPFO बेचेंगे उनकी संपत्ति
नयी दिल्ली। एक समय दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति रहे अनिल अंबानी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। अब अनिल अंबानी ने कर्ज संकट के चलते अपनी कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड की संपत्ति बेचने का फैसला किया है। असल में इससे पहले कंपनी डिबेंचरधारकों और बाकी उधारदाताओं का लोन चुकाने में डिफॉल्टर साबित हुई थी, जिसके बाद निर्णय ये लिया गया है। कंपनी ने जिन संपत्तियों को बेचने का फैसला लिया है उनमें कुछ कंपनियों की पूरी-पूरी हिस्सेदारी शामिल है। इन कंपनियों में रिलायंस सिक्योरिटीज, रिलायंस हेल्थ और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी का नाम है। रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस में भी रिलांयस कैपिटल की 49 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसे भी बेचा जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस इस समय देश में मौजूद प्राइवेट सेक्टर की टॉप 5 इंश्योरेंस कंपनियों में शामिल है।
एलआईसी और ईपीएफओ का कर्ज
गौरतलब है कि इस समय रिलायंस कैपिटल पर एलआईसी और ईपीएफओ का काफी कर्ज है। इनमें ईपीएफओ को रिलायंस कैपिटल से 2500 करोड़ रु की बकाया रकम वसूलनी है। अनिल अंबानी की कंपनी के इंश्योरेंस बिजनेस को बेचने के लिए कर्जदाताओं ने एसबीआई कैप और जेएम फाइनेंशियल को जिम्मेदारी सौंपी है। मालूम हो कि इस वक्त रिलायंस कैपिटल पर कुल 19,806 करोड़ रु का कर्ज है। इसमें से डिबेंचरधारकों का 15000 करोड़ रु बकाया है। डिबेंचरधारकों की एक समिति का गठन डेब्ट रेजोल्यूशन प्रोसेस को निपटाने के लिए किया गया है, जिसमें ईपीएफओ और एलआईसी भी शामिल हैं।
कर्ज में बुरी तरह फंसे अनिल अंबानी
एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति के मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी कर्ज के चक्र में बुरी तरह फंसे हुए हैं। कुछ दिन पहले ही अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट से एक मामले में राहत मिली है। अनिल अंबानी के खिलाफ देश के सबसे सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दिवालिया प्रोसेस के लिए एक याचिका दायर की थी। अनिल अंबानी के लिए ये राहत अंतरिम है। वास्तव में एनसीएलटी ने उनके विरुद्ध दिवालिया मुकदमे को हरी झंडी दिखा दी थी। इस मामले में अंबानी को दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत मिली थी।
इस तरह फंसे अनिल अंबानी
अनिल अंबानी ने अपनी 2 कंपनियों रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल की तरफ से एसबीआई से लिए गए 1,200 करोड़ रु के लोन पर पर्सनल गारंटी दी थी। हुआ ये कि ये दोनों ही कंपनियां दिवालिया हो गई। इसी कारण एनसीएलटी ने अनिल अंबानी के खिलाफ दिवालिया मामला चलाने का आदेश दिया। अनिल अंबानी ने 2016 में अपनी पर्सनल गारंटी पर ये लोन लिए थे। बहरहाल इस बीच रिलायंस कैपिटल इस सप्ताह में संपत्तियों को बेच कर पैसा जुटाने और रुचि रखने वालों से निविदाएं मांगने की प्रोसेस शुरू कर सकती है। एक रेजोल्यूशन आवेदक रिलायंस कैपिटल में हिस्सेदारी नियंत्रण के लिए बोली लगा सकता है। साथ ही किसी खास संपत्ति के लिए भी आवेदन किया जा सकता है।
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