एनसीएलएटी : एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति गैरकानूनी, सायरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला
नयी दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल या एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में फिर से नियुक्त करने का आदेश दिया है। एनसीएलएटी ने माना है कि कि एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति गैरकानूनी थी। साथ ही एनसीएलएटी ने टाटा संस को मिस्त्री को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में फिर से नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 4 हफ्तों का समय भी दिया है। टाटा संस ने एनसीएलएटी के इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 4 हफ्तों का वक्त मांगा था। एनसीएलएटी के मुताबिक टाटा संस के बोर्ड से अल्पसंख्यक शेयरधारकों के प्रति 'पूर्वाग्रही' व्यवहार दिखाया। साथ ही एनसीएएलटी ने कहा कि मिस्त्री को हटाने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया। रतन टाटा के 2012 में रिटायर होने पर सायरस मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था।
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि टाटा संस के बोर्ड ने मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में चेयरमैन पद से हटा दिया था। मगर दो महीने बाद उन्होंने टाटा संस के इस फैसले को एनसीएलटी की मुंबई बेंच में चुनौती दी थी। मिस्त्री की तरफ से उनके परिवार की दो निवेश ने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी। इन कंपनियों में सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प शामिल हैं। मगर एनसीएलटी ने जुलाई 2018 में मिस्त्री के दावे को रद्द कर दिया था।
मिस्त्री ने किया था एनसीएलएटी का रुख
एनसीएलटी ने अपने निर्णय में सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने के लिए टाटा संस के बोर्ड सक्षम बताया था। वैसे टाटा संस ने उन्होंने इसलिए हटाया था क्योंकि कंपनी के बोर्ड और इसके बड़े शेयरधारकों का मिस्त्री पर विश्वास बाकी नहीं रह गया था। मिस्त्री ने एनसीएलटी के खिलाफ खुद एनसीएलएटी का रुख किया था।
National Company Law Appellate Tribunal(NCLAT) allows the plea of Cyrus Mistry and reinstated him as Chairman of Tata Sons. NCLAT set aside the board order of October 24(2017) which had removed Mistry as Chairman. NCLAT also said that Mistry's removal was illegal. (file pic) pic.twitter.com/to8UNVsEmI
— ANI (@ANI) December 18, 2019
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