Mutual Funds : ऐसे चुनें अपने लिए बेस्ट स्कीम, जल्द होंगे मालामाल
नयी दिल्ली। म्यूचुअल फंड में बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि हाई-क्वालिटी वाली योजनाओं में पैसा लगाएं और समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें। म्यूचुअल फंडों द्वारा शुरू की गई व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) ने हाल के वर्षों में भारत में व्यक्तिगत निवेशकों की नब्ज पकड़ ली है, जो इस रूट के माध्यम से किए गए निवेश से जाहिर है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार एसआईपी के माध्यम से शुद्ध मासिक निवेश अप्रैल 2016 में 3,122 करोड़ रुपये से बढ़ कर मई 2020 में 8,123 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस बढ़ोतरी के साथ इसी अवधि में कुल निवेश भी 3.20 लाख करोड़ रु रहा। मार्च में एसआईपी के जरिए 8641 करोड़ रुपये के निवेश के बाद इसमें थोड़ी गिरावट आई है।
बढ़ा एसआईपी क्लोजर रेशियो
एसआईपी क्लोजर रेशियो (एसआईपी के बंद किए गए खातों के मुकाबले नए कितने एसआईपी अकाउंट खोले गए) मई 2020 में 81 प्रतिशत के उच्च रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो अप्रैल में 72 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रतिशत है। लेकिन एसआईपी अभी भी एक बेहतर निवेश रूट बना हुआ है। एसआईपी निवेश के सफल होने के लिए दो चीजें आवश्यक हैं। पहला आपका निवेश लंबे समय के लिए होना चाहिए और दूसरा आपको स्कीम बहुत बुद्धिमानी से चुननी चाहिए। आगे हम आपको बताएंगे कि कैसे आप एसआईपी निवेश के लिए बढ़िया स्कीम चुन सकते हैं।
लंबी अवधि का प्रदर्शन देखें
निवेशक आमतौर पर हाल के प्रदर्शन के आधार पर ही किसी स्कीम का चयन करते हैं। मगर यह तरीका सही नहीं है क्योंकि कुछ स्कीम शेयर बाजार के ऊपर जाने पर उच्च रिटर्न दे सकती हैं और शेयर बाजार के नीचे जाने पर आपका नुकसान करवा सकती हैं। उदाहरण के लिए किसी फंड ने पिछले छह वर्षों में औसतन 19 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दिया है। ऐसा फंड उस फंड से बेहतर है जो पहले तीन वर्षों में 28 प्रतिशत रिटर्न है, लेकिन अगले तीन सालों में 3 प्रतिशत फीसदी सालाना रिटर्न दे। क्योंकि इसके 6 सालों का औसत रिटर्न 14.7 प्रतिशत रह गया और 19 फीसदी वाले फंड के मुकाबले नहीं टिक पाएगा।
बेस्ट फंड चुनते समय रखें ध्यान
- संबंधित फंड्स का प्रदर्शन : लगातार बेहतर प्रदर्शन के बावजूद आपको अलग-अलग बाजार चरणों में कैटेगरी और संबंधित बेंचमार्क के साथ अपने फंड के प्रदर्शन की तुलना करनी चाहिए। क्रिसिल के कैटेगरी स्तर के सूचकांक निवेशकों को संबंधित फंड्स के प्रदर्शन का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
- फंड मैनेजर : किसी स्कीम के रिटर्न के लिए फंड मैनेजर काफी हद तक जिम्मेदारी होता है। इसलिए किसी योजना में पैसा लगाते हुए उस स्कीम के फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड की जांच करें और देखें कि पहले की कंपनियों में उसके पास जो स्कीम थी उनका प्रदर्शन कैसा रहा।
- जोखिम पर रखें नजर : कभी-कभी अच्छा रिटर्न भारी कीमत पर मिलता है। क्योंकि किसी स्कीम का जोखिम बहुत अधिक हो सकता है। इसलिए किसी स्कीम के रिस्क-रिटर्न फीचर्स का आकलन करें।
ये बातें भी हैं जरूरी
- स्कीम का चयन एक बार की प्रक्रिया नहीं है। बल्कि आपको हर साल में स्कीम की समीक्षा करनी चाहिए
- म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की समीक्षा से आप अंडरपरफॉर्मर्स योजनाओं से छुटकारा पा सकते हैं
- समीक्षा से निवेशकों को यह जानने में मदद मिलती है कि क्या उनके निवेश लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने के लिए ट्रैक पर है। सबसे महत्वपूर्ण बात इससे आप सुधारात्मक कार्रवाई कर सकते हैं। यानी जहां कम रिटर्न है वहां से बेहतर रिटर्न देने वाली योजना की तरफ जा सकते हैं।
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