Mutual Fund : क्या होता है एक्सपेंस रेशियो, कैसे ये आपके रिटर्न को करता है प्रभावित, जानिए सबकुछ
Mutual Fund Expense Ratio : म्यूचुअल फंड (एमएफ) की एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) नवंबर 2022 में 40 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गयी। इसने नवंबर महीने में 40.49 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू लिया। इसके अलावा एसआईपी फ्लो (निवेश) और कुल फोलियो की संख्या भी लगातार दूसरे महीने रिकॉर्ड स्तर पर रही। एसआईपी फ्लो 13,306 करोड़ रुपये रहा, जो अब तक का सबसे अधिक है, तो वहीं कुल फोलियो की संख्या के साथ-साथ रिटेल फोलियो की संख्या नवंबर 2022 में अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई। ये क्रमशः 13.98 करोड़ और 11.18 करोड़ रहे। यानी कुल मिला कर कहा जा सकता है कि निवेशकों का फोकस पहले के मुकाबले एमएफ पर काफी बढ़ गया है। इसके पीछे अहम कारण है सेफ्टी के साथ तगड़ा रिटर्न। पर क्या आप जानते हैं कि एक चीज ऐसी भी है जो आपके रिटर्न को प्रभावित करती है? जी हां ये है एक्सपेंस रेशियो। क्या होता है एक्सपेंस रेशियो और कैसे ये आपके रिटर्न को प्रभावित करता है, आगे जानते हैं।
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बहुत अहम है एक्सपेंस रेशियो
जब आप किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करेंगे तो आपको एक चीज उसकी डिटेल में मिलेगी, वो होती है एक्सपेंस रेशियो। एक्सपेंस रेश्यो काफी अहम होता है। किसी भी फंड के एक्सपेंस रेशियो से पता चलता है कि वो फंड आपको कितना सस्ता मिल सकता है। एक्सपेंस रेशियो कम है तो आपको वो सस्ता पड़ेगा, ज्यादा है तो वो आपको महंगा पड़ेगा।
आसान शब्दों में समझें
एक्सपेंस रेशियो म्यूचुअल फंड द्वारा अपने खर्चों को पूरा करने के लिए लगाया जाने वाला वार्षिक मैंटेनेंस चार्ज है। इसमें फंड की मैनेजमेंट फीस, एलोकेशन चार्ज, एडवर्टाइजिंग कॉस्ट वगौरह सहित सालाना ऑपरेटिंग कॉस्ट शामिल है। एक्सपेंस रेशियो की वैल्यू संबंधित म्यूचुअल फंड के साइज पर निर्भर करता है। इसके ज्यादा या कम होने का असर आपको रिटर्न पर जरूर पड़ेगा।
जरूर चेक करें एक्सपेंस रेशियो
जब भी आप किसी म्यूचुअल फंड को निवेश के लि चुनें तो उससे पहले ही उसके एक्सपेंस रेशियो को जरूर चेक करें। एक वेबसाइट के अनुसार एक्सपेंस रेशियो को जांचने का एक तरीका है। इसमें फंड फीस (मैनेजमेंट और ऑपरेटिंग खर्चे) फंड एसेट की टोटल वैल्यू से विभाजित किया जाता है।
फंड हाउस के लिए क्यों अहम है एक्सपेंस रेशियो
एसेट मैनेजमेंट कंपनी, जिसे म्यूचुअल फंड हाउस भी कहा जाता है, के लिए भी एक्सपेंस रेशियो बहुत अहम होता है। फंड हाउस को फंड डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग एक्सपेंस वहन करने होते हैं। फिर म्यूचुअल फंड के ट्रांसफर कस्टोडियन, लीगल और ऑडिटिंग के एक्सपेंसेज भी होते हैं। अब इन खर्चों को कहां से निकाला जाएगा? ये सारे खर्च इन्वेस्टर्स से लिए जाते हैं। ऐसे सारे एक्सपेंस घटाने के बाद म्यूचुअल फंड स्कीम की नेट एसेट वैल्यू सामने आती है।
कैसे घटता है रिटर्न
जाहिर सी बात है कि आपकी रिटर्न सहित निवेश वैल्यू में से जब एक्सपेंस रेशियो घटेगा तो आपका रिटर्न कम होगा। ज्यादा एक्सपेंस रेशियो आपका रिटर्न घटाएगा ही। ज्यादा एक्सपेंस रेशियो वाला फंड भी अच्छा रिटर्न दे सकता है। पर तब आपका रिटर्न प्रभावित होगा। एक्सपेंस रेशियो से यह भी बताता है कि आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो से कितनी फीस ली जा रही है। इसलिए इस पर नजर जरूर रखें।