Mutual Fund : दांव पर लग गए 3.5 लाख करोड़ रुपये, जानिए क्या हुआ
नयी दिल्ली। लॉकडाउन का असर कंपनियों की इनकम पर दिखने लगा है, मगर पूंजी बाजार पर इसका गहरा असर अभी नहीं दिखा है। जानकार कहते हैं कि पूंजी बाजार पर लॉकडाउन का गहरा प्रभाव अगले कुछ महीनों में दिखेगा, क्योंकि करीब 1000 डेब्ट पेपर्स (ऋण पत्र) मई-दिसंबर के मैच्योर होंगे, जबकि कंपनियों की इनकम अप्रैल-जून में घटती दिखी। दरअसल वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की विकास दर करीब-करीब जीरो रहने का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में पूंजी बाजार में बड़े लोन डिफॉल्ट सामने आने की संभावना है। इनमें 20-25 फीसदी बकाया लोन पर ज्यादा संकट है। ये लोन डेब्ट पेपर्स की फॉर्म में भी है। लोन डिफॉल्ट होने का असर म्यूचुअ फंड्स पर भी पड़ेगा। जानकारी के लिए बता दें कि म्यूचुअल फंड का उन डेब्ट पेपर्स में करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये का लोन फंसा हुआ है, जो अगले 8 महीनों में चुकाये जाने हैं।
बैंकों के फंसे हैं 9.35 लाख करोड़ रु
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय बैंकों के भी करीब 9.35 लाख करोड़ रुपये ऐसे लोन में है जो संकट में है, जो सितंबर 2019 के अंत में कुल एडवांस का लगभग 9.1 फीसदी है। कुछ अनुमान ऐसे भी हैं कि इस वित्त वर्ष के अंत तक बैंकों के गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) 18-20 प्रतिशत तक दोगुना हो सकते हैं। म्यूचुअल फंड के 3.5 लाख करोड़ रुपये में से अधिकतर शानदार क्रेडिट रेटिंग में फंसे हैं, जिससे उनके डूबने की उम्मीद कम है। मगर करीब 18,402 करोड़ रुपये एएए और ए1 रेटिंग से कम वाले डेब्ट पेपर्स में अटके हैं।
इन कंपनियों में अटका म्यूचुअल फंड का पैसा
जिन कमजोर कंपनियों के कम रेटिंग वाले डेब्ट उपकरण हैं उनमें अनिल अंबानी ग्रुप की रिलायंस होम फाइनेंस, सिम्पलेक्स, रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क, हजारीबाग रांची एक्सप्रेसवे, एस्सेल इंफ्राप्रोजेक्ट्स और डीएचएफएल शामिल हैं। वहीं एएए रेटिंग वाले डेब्ट पेपर्स जिंदल पावर, वोडाफोन आइडिया, भारती टेलीकॉम, टाटा मोटर्स फाइनेंस, आशीर्वाद माइक्रोफाइनेंस, एलएंडटी इंफ्रा फाइनेंस, हीरो फिनकॉर्प, श्रीराम ट्रांसपोर्ट, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी और जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने जारी किए हैं। जिन सेक्टरों पर लोन डिफॉल्ट का खतरा है उनमें मांग घटने के कारण ऊर्जा, रियल एस्टेट, ऑटो कंपोनेंट, रत्न और आभूषण, एयरलाइन, पोल्ट्री और मांस, कपड़ा और निर्माण क्षेत्र शामिल है।
निवेशकों के लिए आगे राह है मुश्किल
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 2020-21 खत्म होने तक क्रेडिट स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है, जो निवेशकों के लिए बुरी खबर है। यदि कोरोनावायरस का असर बढ़ा तो ये लोन समस्या अगले वित्त वर्ष में भी पहुंच जाएगी। वहीं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और माइक्रोफाइनांस संस्थानों, जो पिछले कुछ वर्षों से लिक्विडिटी की कमी से जूझ रही हैं, को साल के अंत तक म्यूचुअल फंडों को 7,137 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। हालांकि अब म्यूचुअल फंड्स एनबीएफसी को कम लोन देते हैं और इसमें 17 फीसदी की गिरावट आई है।
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