Sahara में फंसा पैसा मिलना शुरू, जारी हो चुके हैं 138 करोड़ रुपये के रिफंड
Sahara Refund Process : सहारा ग्रुप की कंपनियों में बहुत सारे लोगों का पैसा सालों से फंसा हुआ है। लोगों को पैसा मिलने में काफी दिक्कतें हुई हैं। मगर अब ऐसे निवेशकों के लिए एक अच्छी खबर आई है। बता दें कि बीते करीब 10 सालों में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा की दो कंपनियों में जिन निवेशकों का पैसा फंसा है, उन्हें 138 करोड़ रुपये लौटाए हैं। मालूम हो कि इस रीपेमेंट के लिए अलग से बैंक खाते खोले गए थे। उनमें जमा राशि बढ़ी है और अब 24,000 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गई है।
सेबी ने दी जानकारी
सेबी ने अपनी हाल ही में एक वार्षिक रिपोर्ट पेश की और उसमें रिफंड से जुड़ी जानकारी दी गयी है। उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश दिया था। उस आदेश के अनुसार सहारा की दो कंपनियों के करीब 3.5 करोड़ निवेशकों को पैसा वापस करना था और वो भी ब्याज सहित। मगर अधिकांश बॉन्डधारकों ने क्लेम नहीं किया। इससे सेबी वित्त वर्ष 2021-22 में सिर्फ नौ करोड़ रुपये ही अतिरिक्त राशि वापस कर सकी।
सेबी-सहारा रिफंड खातों बैलेंस कितना पहुंचा
इस दौरान सेबी-सहारा रिफंड खातों में बैलेंस राशि बढ़ कर 1,515 करोड़ रु हो गयी। सेबी की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2022 तक इसको 19,650 आवेदन मिले हैं। इनमें रिफंड के लिए जो दावे किए गए वो 82.31 करोड़ रुपये के हैं। इनमें से इसने 17,526 मामलों में 138 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया है। इसमें 68 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है।
31 मार्च तक का रिफंड
सेबी ने बताया था कि 31 मार्च, 2021 तक इसकी तरफ से कुल 129 करोड़ रुपये की रिफंड राशि दी गयी है। सेबी ने यह भी जानकारी दी है कि उच्चतम न्यायालय ने कई आदेश दिए। साथ ही कुर्की के नियामकीय आदेश भी आए। इन सभी का पालन करते हुए सेबी ने 31 मार्च, 2022 तक 15,507 करोड़ रुपये तक वसूल किए। इस दौरान बैंकों में जमा राशि 24,076 करोड़ रुपये पहुंच गयी है। इससे एक साल पहले 31 मार्च, 2021 तक यह 23,191 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2020 तक यह 21,770.70 करोड़ रुपये थी।
कहां से शुरू हुआ मामला
सहारा की कई योजनाओं में बड़ी संख्या में लोगों ने निवेश किया। मगर कई साल बाद अब भी वे अपने पैसे की तलाश में हैं। इस मामले की शुरुआत कहां से हुई ये हम आपको बताते हैं। करीब 13 साल पहले दिसंबर 2009 और फिर जनवरी 2010 में सेबी के पास दो शिकायतें पहुंची। शिकायतों में कहा गया था कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर जारी गलत तरीके से पैसा हासिल कर रही हैं। सेबी के पास पहुंची हुई शिकायतें सही साबित हुईं। फिर सेबी ने जांच शुरू की।