घाटा कराने वाली कंपनियों को जल्द बंद करना चाहती है मोदी सरकार, ये है तैयारी
Loss Making Govt Entities : मोदी सरकार ने सरकारी फर्मों को घाटे में चल रही यूनिट्स को बंद करने के लिए देश की दिवाला अदालत में जाने पर विचार करने के लिए कहा है। ऐसा इसलिए ताकि इन घाटा कराने वाली कंपनियों के तेजी से सॉल्यूशन की उम्मीद की जा सके। असल में सरकार भी अपनी सार्वजनिक क्षेत्र (पब्लिक सेक्टर) की हिस्सेदारी को कम करना चाहती है।

जारी की गयी गाइडलाइंस
घाटे में चल रही यूनिट्स के समाधान के लिए पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को तीन महीने के भीतर दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दिवाला आवेदन दाखिल करना होगा। सरकार उस दिन से लगभग नौ महीनों में घाटे में चलने वाली इकाइयों को बंद करने की सोच रही है जिस दिन से कोई फर्म ऐसा करने की मंजूरी मांगती है। इसके लिए टॉप कैबिनेट मंत्रियों की एक समिति से मंजूरी लेनी होगी। सरकार की ओर से सोमवार को इसके लिए गाइडलाइंस जारी की गयीं।

क्या है मौजूदा नियम
सरकार की तरफ से कहा गया है कि राज्य द्वारा संचालित फर्में भी कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से संपर्क करके अपनी इकाइयों को बंद करने का विकल्प चुन सकती हैं, जैसा कि इस समय पर नियम है। यह कदम नरेंद्र मोदी प्रशासन द्वारा सरकार की पब्लिक सेक्टर होल्डिंग को कम करने के लिए एक नया कदम है। ये एक ऐसा प्रयास है, जो अक्सर भूमि से संबंधित देरी और विवादों से बाधित होता रहता है।
भूमि संपत्तियों को अलग करें
पैरेंट कंपनियों के बोर्ड को उनकी सहायक कंपनियों की भूमि संपत्तियों को अलग करने के लिए भी कहा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भूमि विवाद अब से यूनिट को बंद करने में अड़चन न बने। फर्मों को पट्टे पर दी गई जमीन के लिए राज्य सरकारों से देय किसी भी मुआवजे को बट्टे खाते में डालने के लिए भी कहा गया है।

और भी हैं सरकार के प्लान
सितंबर में खबर आई थी कि सरकार ने विनिवेश के लिए राष्ट्रीय रसायन एवं उर्वरक (आरसीएफ) और राष्ट्रीय उर्वरक (एनएफएल) सहित आठ उर्वरक पब्लिक सेक्टर कंपनियों की पहचान की है। विनिवेश के लिए चुनी गयी अन्य ऐसी कंपनियों में ब्रह्मपुत्र घाटी उर्वरक निगम (बीवीएफसीएल), एफसीआई अरावली जिप्सम और खनिज (एफएजीएमआईएल), मद्रास उर्वरक (एमएफएल), उर्वरक निगम इंडिया (एफसीआईएल), उर्वरक और रसायन त्रावणकोर (एफएसीटी), और हिंदुस्तान उर्वरक निगम (एचएफसीएल) शामिल हैं। नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में अधिकारियों के कोर ग्रुप की बैठक में इन कंपनियों के विनिवेश के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी।
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