मोदी सरकार 2.0 : 1 साल में निवेशकों का बुरा हाल, डूबे 27 लाख करोड़ रुपये
नयी दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा हो गया है। बता दें कि शेयर बाजार निवेशकों के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण साल रहा। 1 साल में शेयर बाजार में निवेशकों की 27,00,000 करोड़ रुपये की इक्विटी संपत्ति डूब गई, जो भारत की जीडीपी के 13.5 फीसदी के बराबर है। अन्य शब्दों में कहें तो ये सरकार को कोरोना संकट से निपटने के लिए घोषित किए गए 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज, जो जीडीपी का 10 फीसदी है, से 35 प्रतिशत अधिक है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि निवेशकों की कितनी संपत्ति डूबी है। पिछले एक साल में हर 10 में से 9 शेयरों ने निगेटिव रिटर्न दिया है। बीएसई के लिस्टेड शेयरों में से केवल 10 फीसदी दोहरे अंकों में (10 फीसदी से इससे अधिक) रिटर्न दे सके।
बीएसई लिस्टेड कंपनियों की मार्केट वैल्यू घटी
आंकड़ों के मुताबिक जिस दिन दूसरे कार्यकाल के लिए पीएम मोदी ने शपथ ली थी उस दिन से शुक्रवार 29 मई तक बीएसई लिस्टेड कंपनियों की मार्केट वैल्यू 17.7 फीसदी घटी है। बीएसई की लिस्टेड कंपनियों की मार्केट वैल्यू 154.44 लाख करोड़ रुपये से घट कर 127.06 लाख करोड़ रुपये रह गई। इस दौरान कुल 2,684 सक्रिय रूप से कारोबार वाले शेयरों में से 2,308 ने निगेटिव रिटर्न दिया, जबकि 17 शेयरों में कोई बदलाव नहीं आया। केवल 359 शेयरों, बीएसई के 13 प्रतिशत शेयर, ने मुनाफा दिया। इनमें से 269 (बीएसई के सिर्फ 10 प्रतिशत) ने 10 प्रतिशत से अधिक मुनाफा दिया।
इकोनॉमी का भी बुरा हाल
कोरोना संकट से पहले ही जीडीपी वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर पर थी। चौथी तिमाही में यह और गिर कर 3.1 फीसदी पर पहुंच गई। ये कोरोनावायरस और इसे फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का शुरुआती असर था। वहीं ताजा आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर घट कर 4.2 प्रतिशत रह गई, जो 11 साल का निचला स्तर है। मासिक पीएमआई रीडिंग रिकॉर्ड निचले स्तर पर है, फैक्ट्री आउटपुट गिर रहा है, एफडी की दरें घट रही हैं ये सबस देखते हुए निवेशकों के मन में सवाल है कि ये समय निवेश करने लायक है या नहीं।
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