Maruti Suzuki ने दिया ग्राहकों को झटका, महंगी कर दी कार, चेक करें रेट
नई दिल्ली, नवंबर 30। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी इंडिया ने मंगलवार को कहा कि इसने यात्री एयरबैग की शुरुआत के कारण अपनी ईको वैन के सभी नॉन-कार्गो वेरिएंट की कीमतों में 8,000 रुपये की बढ़ोतरी की है। ईको की कीमतों में वृद्धि 30 नवंबर, 2021 से प्रभावी हो गयी है। कंपनी ने एक स्टॉक एक्सचेंजों को इस बात की जानकारी दी है। आगे जानिए ईको की कितनी कीमत है। साथ हम आपको यहां मारुति की पूरी प्राइस लिस्ट और आने वाली कारों की भी जानकारी देंगे।
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कितनी है ईको की कीमत
ईको के पैसेंजर वेरिएंट की कीमत 4.3 लाख रुपये से शुरू होती है और 5.6 लाख रुपये तक जाती है, जबकि एम्बुलेंस वेरिएंट की कीमत 7.29 लाख रुपये (एक्स-शोरूम दिल्ली) है। इससे पहले इसी साल सितंबर में कंपनी ने सेलेरियो को छोड़कर अपने पूरे प्रोडक्ट रेंज की कीमतों में 1.9 फीसदी तक की बढ़ोतरी की थी। यह इस साल इसकी कारों की कीमतों में तीसरी बार की गयी बढ़ोतरी है।
ये हैं मारुति सुजुकी की सबसे सस्ती कारें :
- मारुति ऑल्टो 800 : शुरुआती कीमत 3.15 लाख रुपये
- मारुति एस-प्रेसो : शुरुआती कीमत 3.78 लाख रुपये
मारुति की 5.25 लाख रु से कम कीमत वाली कारें :
- मारुति सिलेरियो : शुरुआती कीमत 4.65 लाख रुपये
- मारुति वैगन आर : शुरुआती कीमत 4.93 लाख रुपये
- मारुति इग्निस : शुरुआती कीमत 5.10 लाख रुपये
- मारुति सिलेरियो एक्स : शुरुआती कीमत 5.10 लाख रुपये
मारुति की 6.25 लाख रु से सस्ती कारें :
- मारुति स्विफ्ट : - शुरुआती कीमत 5.85 लाख रुपये
- मारुति बलेनो : शुरुआती कीमत 5.99 लाख रुपये
- मारुति डिजायर : शुरुआती कीमत 5.99 लाख रुपये
- मारुति स्विफ्ट डिजायर टूर : शुरुआती कीमत 6.02 लाख रुपये
मारुति की 8 लाख रु से सस्ती कारें :
- मारुति विटारा ब्रेजा : शुरुआती कीमत 7.61 लाख रुपये
- मारुति अर्टिगा : शुरुआती कीमत 7.96 लाख रुपये
मारुति की सबसे महंगी कारें :
- मारुति एस-क्रॉस : शुरुआती कीमत 8.59 लाख रुपये
- मारुति सीएज : शुरुआती कीमत 8.72 लाख रुपये
- मारुति एक्सएल6 : शुरुआती कीमत 9.98 लाख रुपये
मारुति की सेल्स
कार निर्माता ने जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान कुल 379,541 कारें बेचीं। ये आंकड़े इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट की आपूर्ति में वैश्विक स्तर पर आई कमी से बहुत नीचे रहे। घरेलू बाजार में इसकी सेल्स 3,20,133 कारों की रही। मारुति के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पोनेंट की कमी के कारण करीब 116,000 वाहनों का उत्पादन नहीं किया जा सका, जो ज्यादातर घरेलू मॉडल के अनुरूप थे।