LPG Gas : क्या आप जानते हैं कैसे तय होते हैं Cylinder के रेट, समझिए गणित
नई दिल्ली, अगस्त 29। उज्वाला योजना के शुरूआत के बाद से भारत के लगभग सभी घरो के रसोई में एलपीजी गैस का उपयोग होता है। एलपीजी अब घर की जरूरी उपयोग के वस्तुओं में से एक है। जरूरी उपयोग की वस्तु होने की वजह से एलपीजी गैस के किमतों में होने वाले उचार- चढ़ाव पर सबकी नजर बनी होती है। कीमतों में बढ़ोत्तरी या गिरावट से परिवार के बजट पर खासा प्रभाव पड़ता है। भारत में प्रत्येक महीने की पहली तारीख को ईंधन कंपनियां एलपीजी समेत अपने सभी उत्पादों का नया रेट तय करती हैं। हर महीने के 1 तारीख को किमतों में इजाफा या गिरावट का पता चलता है। अगस्त महीने के शुरूआत में एलपीजी के कामर्शियल सिलेंडर के दामों में 36 रुपए की गिरावट देखने को मिली थी। तब से अब तक घरेलू एलपीजी में दामों में कोई उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिला है।
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सितंबर में बढ़ सकते हैं दाम
पेट्रोलियम और गैस संबंधित प्रोडक्ट्स की कीमतों में उछाल या गिरावट क्रूड ऑयल के प्राइस पर निर्भर करता है। हाल ही में ब्रेंट क्रूड के कीमतों में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिली है। ब्रेंट क्रूड के दामों में इजाफा से अनुमान यह जा रहा है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों एलपीजी समेत सभी पेट्रोलियम प्रोडक्ट के किमतों को कम नहीं करने वाली है।
किमते हैं स्थिर
बता दें कि एलपीजी के घरेलू गैस सिलिंडर के कीमतों में बीते कुछ महीने से कोई बदलाव नहीं नहीं किया गया है। ऐसे में क्रूड की कीमतों में ऊछाल से एलपीजी के दामों में इजाफा होने की संभावना हैं। सरकार अगर इन प्रोडक्ट पर थोड़ा टैक्स घटाती है तो किमते कम भी हो सकती हैं
कैसे तय होती है एलपीजी की कीमत
एलपीजी की कीमत तय करने के लिए इंपोर्ट पेरीटी प्राइस फार्मूला का प्रयोग किया जाता है। इस फार्मूले से क्रूड ऑयल की भाव, समुद्री ढुआई का किराया, बीमा, कस्टम ड्यूटी, बंदरगाह पर टिकने का खर्च, डॉलर से रुपये का एक्सचेंज, माल ढुलाई, तेल कंपनी का मुनाफा, बॉटलिंग लागत और जीएसटी आदि को शामिल कर के एलपीजी के किमतों को तय किया जाता है। इसी तरह के फार्मूले का इस्तेमाल कर के सीएनजी की कीमत भी तय की जाती है। दोनों के दाम तय करने के फार्मूले में बस इतना इतना सा फर्क है कि सी एन जी को क्रूड ऑयल के दामों को आधार मान के नहीं बल्कि नेशनल गैस से तुलना कर के की जाती है। इसी वजह से सीएनजी की कीमत नैचुरल एस फार्मूले के आधार पर तय किया जाता है। भारत आवश्यकतानुसार ही नैचुरल गैस का आयात करता है।