लॉकडाउन : देश के अमीर विदेशों से अपने बच्चों को बुलाने के लिए कर रहे संघर्ष
नयी दिल्ली। कोरोनावायरस के कारण देश भर में फ्लाइट बंद हैं। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय के बाद घरेलू फ्लाइट भी बंद कर दी हैं। ऐसे में देश के अमीरों को अपने उन बच्चों को घर वापस लाने में संघर्ष करना पड़ रहा है जो विदेशों में पढ़ने गए हुए हैं। इसके लिए उन्हें भारी रकम भी चुकानी पड़ रही है। 16 मार्च को एक फाल्कन जेट मुंबई एयरपोर्ट पर उतरा, जिसमें दो युवतियां थीं। दोनों शहर के व्यापारिक परिवारों के बच्चे लंदन से आए थे। दोनों को दो अलग-अलग जगहों से उनके विश्वविद्यालयों से लंदन हवाई अड्डे ट्रांसफर किया गया था। उनके लिए मुंबई में उनके माता-पिता ने घर लाने के लिए जहाज की व्यवस्था की थी। उनके अभिभावकों को उन्हें घर लाने के लिए करीब 90 लाख रुपये खर्च करने पड़े। ये दोनों युवतियां ऐसे ही उन अन्य बच्चों में शामिल हैं जो 8 से 21 मार्च की अवधि में विदेशों से भारत आए।
भनक लगते ही एक्विट हुए अमीर परिवार
इस महीने की शुरुआत में कोरोना संकट तेजी से बढ़ा, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि भारतीय हवाई क्षेत्र किसी भी समय लॉकडाउन में जा सकता है। ऐसा महसूस होते ही भारत के अमीर विदेश में पढ़ने वाले बच्चों को वापस लाने के लिए लक्जरी निजी जेट किराए पर लेने लगे। 21 मार्च को सरकार द्वारा इनबाउंड वाणिज्यिक उड़ानों को रोके जाने से दो हफ्ते पहले ही करीब 102 प्राइवेट जेट अमीरों को बच्चों को भारत लेकर आए। अधिकतर छात्र यूनाइटेड किंगडम, यूरोप फ्रांस, जर्मनी और स्विट्जरलैंड से वापस आए।
किन एयरक्राफ्ट से लौटे
जिन उड़ानों से अमीर परिवारों के बच्चे भारत वापस आए उनके लिए सूचीबद्ध विमान में डैसॉल्ट फाल्कन 2000, बॉम्बार्डियर चैलेंजर चेन और हॉकर व्यापार विमान जैसे लक्जरी जेट शामिल हैं। इन सारी फ्लाइटों की प्रबंधन सिर्फ एक ही कंपनी ने किया था। 8 से 21 मार्च के दो हफ्तों के दौरान टियर 2 और टियर 1 शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई के बीच 31 बिज़नेस जेट की उड़ानों ने ज्यादातर व्यापारियों के माता-पिता को भी पहुँचाया। दो निजी विमानन चार्टर कंपनियों के मुताबिक बुकिंग और पूछताछ में अचानक तेजी आई है, जबकि इससे पहले कैंसेलेशन में बढ़ोतरी देखी गई।
एयरलाइन सेक्टर को भारी नुकसान
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन या आईएटीए ने हाल ही में चेतावनी देते हुए कहा कि एयरलाइन उद्योग को अकेले इस साल आमदनी में 250 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है। आईएटीए का कहना है कि अगर तीन महीनों के लिए इतने गंभीर प्रतिबंध जारी रहे तो इसके ताजा अनुमान के मुताबिक वार्षिक यात्री आमदनी में 252 अरब डॉलर की भारी भरकम गिरावट आएगी, जो पिछले साल के मुकाबले एयरलाइन इंडस्ट्री की आमदनी में 44 फीसदी क गिरावट होगी। आईएटीए के अनुसार एयरलाइन उद्योग को सरकारी मदद की जरूरत होगी।
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