GDP : आंकड़ों पर क्या बोले जानकार, जानें यहां
नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े आज आ गए हैं। हम अगर पहली तिमाही से तुलना करें तो अर्थव्यवस्था को रिकवरी मिली है। लेकिन इसके बावजूद निगेटिव ग्रोथ मंदी पर मुहर लगा रही है। वहीं जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9% की अभूतपूर्व गिरावट आई थी।
जीडीपी के यह आकंड़े उम्मीद से बेहतर है क्योंकि आरबीआई और रेटिंग एजेंसी ने इससे ज्यादा यानी करीब 8.6 फीसदी गिरावट का अनुमान लगाया था। हालांकि, तकनीकी तौर पर देश आर्थिक मंदी में फंस चुका है, क्योंकि सितंबर तिमाही में लगातार दूसरी बार जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई है।
क्या कहना है सरकार का
चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के सुब्रमण्यन का कहना है कि पहले की अपेक्षा हमारी इकोनॉमी अब बेहतर हो रही है। कोरोना की वजह से इकोनॉमी में सुस्ती आई है। यही वजह रही कि पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव में करीब 24 फीसदी पर चला गया था। वहीं उन्होंने कहा कि मार्च में महामारी के कारण पिक की रफ्तार रुक गई थी। अन्य देशों की तुलना में भारत में कोविद की मृत्यु 9.7 लाख प्रति लाख है।
जीडीपी आंकड़ों पर क्या बोले अन्य जानकार
मुख्य अर्थशास्त्री, बैंक ऑफ बड़ौदा समीर नारग ने कहा कि सरकार का कैपेक्स खर्च पिछले साल अक्टूबर की तुलना में अधिक है। टैक्स कलेक्शन में बड़ी उछाल देखने को मिल रही है। सरकारी खर्च में वृद्धि की संभावना है।
अर्थशास्त्री जीडीपी जोशी ने कहा कि दूसरी छमाही में सरकार द्वारा बेहतर विकास प्रदर्शन और बेहतर राजस्व संग्रह होगा। ओवरऑल सेकेंड हाफ हल्के से सकारात्मक होना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन नंबरों ने हमें चौंका दिया है। इन क्षेत्रों में असंगठित व्यापार का एक बड़ा घटक है। आगे देखेंगे कि कोर सेक्टर में थोड़ा सुधार होगा।
वहीं एक और अर्थशास्त्री ने कहा कि जीडीपी मैन्युफैक्चरिंग नंबर और IIP मैन्युफैक्चरिंग नंबर क्यों मेल नहीं खाते। जीडीपी संख्या अपेक्षा से बेहतर है लागत में कटौती ने विनिर्माण के प्रदर्शन को आगे बढ़ाने में मदद की है।
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