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Dhirubhai Ambani : जानिए कैसे भजिए तलते-तलते हो गए थे अरबपति

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नई दिल्ली, जुलाई 7। धीरूभाई अंबानी जिनकी पहचान के लिए उनका सिर्फ नाम ही काफी हैं। धीरूभाई सिर्फ 500 रुपये लेकर मुंबई आए थे, और उन्होंने अरबों का साम्राज्‍य खड़ा कर दिया। धीरूभाई जिनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। और जन्‍म 28 दिसंबर 1932 को सौराष्‍ट्र के जूनागढ़ में हुआ था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। धीरूभाई इस हालत को ठीक करना चाहते थे, इसी वजह से उन्‍होंनें कम उम्र से कारोबार की शुरुआत कर दी थी। तीर्थयात्रियों को धीरूभाई भाजिया बेचा करते थे। वह 10वीं तक ही पढ़ सके थे।

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500 रूपए लेकर आए थे मुंबई

500 रूपए लेकर आए थे मुंबई

वे लगभग 16 वर्ष की उम्र में पैसा कमाने के लिए अपने भाई रमणिकलाल के यह यमन चले गए थे। यह बात 1949 की है। वहां पर उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर नौकरी की, तनख्‍वाह 300 रुपये महीने थी। धीरूभाई के काम से कंपनी बहुत ही खुश थी, उन्‍हें फिलिंग स्‍टेशन का मैनेजर बना दिया था। 1954 में धीरुभाई भारत आ गए। वे जानते थे, उन्होंने जो सोचा है, वो घर में रह कर नही हो पाएगा इसलिए, वे मुंबई में लिए निकल हो गए। मुंबई तो चले गए, मगर उनकी जेब में सिर्फ 500 रुपये थे।

आ गया था बाजार का ज्ञान

आ गया था बाजार का ज्ञान

मुंबई जाकर उन्होंने बहुत सारे व्यापार शुरू किए। उन्‍हें बिजनेस का बहुत अधिक ज्ञान हो गया था। उस समय भारत में पॉलियस्‍टर की अधिक मांग थी, इसके अलावा विदेश में भारतीय मसालों की। इसने उन्हे अमीर बनने का सुझाव दिया। 1960 में चचेरे भाई और उन्होंने रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की नींव डाली। धीरूभाई ने एक कमरे से पहला ऑफिस शुरू किया था।

काफी बार बदला उन्होंने कंपनी का नाम

काफी बार बदला उन्होंने कंपनी का नाम

2000 में वह देश के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए थे। पहले रिलायंस का नाम रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन था, बाद में इसका नाम बदलकर रिलायंस टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड किया गया था। अंत में कंपनी का नाम रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड रखा गया। वह ज्‍यादा पार्टी वगैरह नहीं किया करते थे। जब अभिताभ बच्चन के दिन ठीक नही चल रहे थे, उस समय महानायक के लिए बढ़ाया था, मदद का हाथ। इस बात को महानायक खुद उजागर कर चुके हैं।रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के 40वें स्‍थापना दिवस पर अभिताभ बच्चन ने पूरा किस्‍सा सुनाया था।

English summary

Know the story of Dhirubhai Ambani becoming rich how he struggled

Dhirubhai Ambani whose name alone is enough for his identity, Dhirubhai had come to Mumbai with only 500 rupees,
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