जानिए क्या है 900 बिलियन डॉलर के US कोविड पैकेज में
कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्थाएं बुरे दौर से गुजर रही हैं। इसी बीच लोगों की मदद और अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अमेरिकी संसद ने 663 लाख करोड़ रुपए यानी 900 बिलियन डॉलर के कोरोना रिलीफ पैकेज
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्थाएं बुरे दौर से गुजर रही हैं। इसी बीच लोगों की मदद और अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अमेरिकी संसद ने 663 लाख करोड़ रुपए यानी 900 बिलियन डॉलर के कोरोना रिलीफ पैकेज के लिए सहमति दे दी है। सावधान : Covid-19 vaccine लगवाने से पहले इन 5 बातों पर ध्यान दें
इस पैकेज के तहत बेरोजगारों को प्रति सप्ताह 300 डॉलर (22,000 रुपए) और बिल के मुताबिक अधिकांश अमेरिकियों और उनके बच्चों को 600 डॉलर की सीधी राशि मदद के तौर पर दी जाएगी। यह राशि अगले सप्ताह से ही यह मिलनी शुरू हो जाएगी। हालांकि इसका फायदा उन लोगों को नहीं मिलेगी जिनकी राशि 1 लाख डॉलर सालाना होगी या फिर जो लोग अप्रवासी होंगे। नए प्रावधानों के तहत सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले कारोबारों, स्कूलों और स्वास्थ्य सेवाओं की भी मदद की जाएगी। पैकेज में एयरलाइनों के लिए 15 बिलियन डॉलर पैकेज के साथ ही टीका वितरण, स्कूलों और विश्वविद्यालयों, किसानों और खाद्य सहायता के लिए भी राशि शामिल की गई है।
बता दें कि इस राशि का इस्तेमाल कोरोना वायरस महामारी के दौरान बुरी तरह प्रभावित हुए कारोबारियों एवं जरूरतमंद लोगों की मदद करने और टीका मुहैया कराने के अभियान में किया जाएगा। इस राहत पैकेज को लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी। कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रभावित हुए लोगों की मदद करने और अर्थव्यवस्था में गति देने के इरादे से नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन इस समझौते को लागू करने के पक्ष में थे। गौरतलब है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण करेंगे।
2.3 ट्रिलियर डॉलर की भारी-भरकम राशि वाला यह बिल अमेरिकी इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा राहत पैकेज (900 बिलियन डॉलर) लिए हुए हैं। इसके पहले कोरोना वायरस की शुरुआत में अर्थव्यवस्था को मंदी में जाने से रोकने के लिए 1.8 ट्रिलियन का सहायता पैकेज जारी किया गया था। राहत पैकेज को लेकर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे अगले साल डबल-डिजिट में जाने वाली मंदी को रोकने में मदद मिलेगी। हालांकि अभी भी जोखिम बना हुआ है।