2 साल में इतनी घटी गई है रोजगार की वृद्धि दर: रिर्पोट
रेटिंग एजेंसी CARE रेटिंग्स के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में रोजगार वृद्धि की गति पिछले दो वर्षों में धीमी हो गई, जबकि 2017-18 में रोजगार सृजन 3.9% और 2018-19 में 2.8% था। हालांकि अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच सकल कर्मचारी संख्या में 3.3 प्रतिशत की औसतन सालाना वृद्धि दर्ज हुई, जो कि अब तक के किसी भी चार साल के समयावधि से ज्यादा है।
रेटिंग एजेंसी केयर ने यह स्टडी की है। केयर की स्टडी में कहा गया है कि वर्ष 2016-17 में देश में रोजगार वृद्धि की दर में बेहद तेजी दर्ज की गई थी। इसके बाद पिछले दो वर्षों में इसकी गति बेहद धीमी हो गई है।
हालांकि अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच सकल कर्मचारी संख्या में 3.3 प्रतिशत की औसतन सालाना वृद्धि दर्ज हुई, जो कि अब तक के किसी भी चार साल के समयावधि से ज्यादा है।
तो वहीं सालाना आधार पर रोजगार वृद्धि दर को देखा जाए तो वर्ष 2015-16 में महज 2.5 प्रतिशत दर के बाद 2016-17 में यह 4.1 प्रतिशत से अधिक हो गया। वर्ष 2017-18 में यह घटकर 3.9 प्रतिशत और 2018-19 में केवल 2.8 प्रतिशत रह गया।
केयर रेटिंग्स ने अपने अध्ययन में देश के कई सेक्टर की 1,938 कंपनियों के आंकड़ों को आधार बनाया है।
आपको बता दें कि यह माना जाता है कि रोजगार वृद्धि दर का संबंध सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से होता है। पिछले चार साल के आंकड़े इसकी तस्दीक नहीं कर रहे हैं। वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच देश की जीडीपी ग्रोथ दसवीं 7.5 प्रतिशत थी, जबकि इस दौरान रोजगार वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत कम दर्ज की गई।
देश के शीर्ष 10 औद्योगिक क्षेत्र की 895 कंपनियों में वर्ष 2018-19 में 47 लाख लोग काम कर रहे थे। इस सर्वे में शामिल 1938 कंपनियों के कुल रोजगार का तीन चौथाई हिस्सा शामिल है।
बता दें कि जॉब देने के मामले में सबसे बड़ा 42.4 फीसदी हिस्सा सेवा क्षेत्र से जुड़े तीन उद्योगों (गैर बैंकिंग वित्तीय सेवाओं, आईटी व रिटेल सेक्टर) का है। इसके बाद निर्माण (30 प्रतिशत) और कृषि (3 प्रतिशत) सेक्टर का स्थान रहा। रोजगार में सेवा क्षेत्र की भागीदारी कुल मिलाकर 50 प्रतिशत की थी।