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IT Sector : छोटी कंपनियों को खरीद सकती हैं इंफोसिस, टीसीएस जैसी दिग्गज

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नयी दिल्ली। कैश से मालामाल टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो जैसी दिग्गज आईटी कंपनियां अपनी छोटी प्रतिद्वंदी कंपनियों को खरीद की कोशिश कर सकती हैं। दरअसल कोरोना संकट से इस समय कंपनियों के शेयर काफी कम भाव पर (Discounted Valuations) मिल जाएंगे। इन तीनों कंपनियों के मिला कर 13 अरब डॉलर से अधिक कैश है, जो इन्हें ये हिस्सेदारी खरीदने में मदद करेगा। छोटी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने से इन कंपनियों को रणनीतिक क्षमता और बाजार तक पहुंच हासिल करने में मदद मिल सकती है। साथ ही कारोबार सामान्य होने पर इनकी ग्रोथ को बढ़ावा मिल सकता है। ये ज्ञान-संबंधी और आईटी प्लेटफॉर्म के साथ साथ क्लाउड आधारित साइबर सिक्योरिटी प्रोडक्ट्स को खरीदने के अवसरों पर ध्यान दे सकती हैं, जो अपने क्लाइंटों की तरफ से डिमांड में हैं।

2008-09 में टीसीएस ने लिया था ऐसा फैसला

2008-09 में टीसीएस ने लिया था ऐसा फैसला

फाइनेंशियल संकट के कारण 2008-09 में आई मंदी के बीच टीसीएस ने सिटिग्रुप के भारत में कैप्टिव बिजनेस प्रोसेस सेंटर को 50.5 करोड़ डॉलर में खरीद लिया था, जिसके जरिए टीसीएस को वैश्विक बैंकों को सर्विस देने के लिए उनसे एक दशक लंबे 2.5 अरब डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने में मदद मिली। मार्च के अंत में टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो के पास क्रमश: 5.9 अरब डॉलर, 3.6 अरब डॉलर और 3.53 अरब डॉलर कैश था। भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा फर्म टीसीएस ने जनरल मोटर्स की भारतीय तकनीकी केंद्र की कुछ संपत्तियों को खरीदने के अलावा कंसल्टेंसी ब्रिजपॉइंट ग्रुप और डिज़ाइन फर्म W12 जैसी फर्मों को खरीदा भी है।

नई भर्तियों पर लग रही रोक
 

नई भर्तियों पर लग रही रोक

एक तरफ जहां नई कंपनियों में निवेश की संभावना है वहीं कोरोना की वजह से बिगड़े आर्थिक हालात से कंपनियों की हालत इतनी खस्ता है कि वे या तो वे नई भर्तियों के लिए ऑफर लेटर जारी नहीं कर रही हैं या फिर जारी किए जा चुके ऑफर वापस ले रही हैं। ये मिड से लेकर सीनियर पोस्ट तक के पदों पर हो रहा है। न केवल नए लोगों को नौकरी देने के फैसलों को रोक दिया गया है बल्कि कंपनियां वरिष्ठ अधिकारियों को भी रखने के लि उत्सुक नहीं हैं। सर्च फर्मों ने कहा कि यह ट्रेंड पिछले सप्ताह से 10 दिनों में अधिक दिखाई दिया है।

आईटी कंपनियों की हालत भी खस्ता

आईटी कंपनियों की हालत भी खस्ता

इस संकट में आईटी कंपनियां भी रेवेन्यू का नुकसान उठा रही हैं। एक आईटी कंपनी एक हायरिंग कॉन्ट्रैक्ट को इसलिए पूरा नहीं कर सकी क्योंकि उसके खुद को ये स्पष्ट नहीं है कि क्या वे अधिक फंड जुटा सकेगी या नहीं। पिछले 10 दिनों में व्यापार के मोर्चे पर स्थिति डरावना हो गई है। आलम ये है कि हायरिंग एजेंसीज की इनकम भी प्रभावित हो रही है। हायरिंग एजेंसियों के क्लाइंट की तरफ से पेमेंट में देरी हो सकती है। एक जानकार का अनुमान है कि ऐसे हालात में कंपनियां हायरिंग एजेंसियों को पेमेंट करने में 4-6 महीनों की देरी कर सकती हैं।

Lockdown 2.0 : आईटी सेक्टर को मिली 50 फीसदी वर्कफोर्स के साथ काम करने की छूटLockdown 2.0 : आईटी सेक्टर को मिली 50 फीसदी वर्कफोर्स के साथ काम करने की छूट

English summary

IT Sector Giants like Infosys TCS and wipro can buy small companies

The condition of the companies is so bad due to the worsening economic situation due to Corona that they are either not issuing offer letters for new recruits or withdrawing offers that have been issued.
Story first published: Saturday, April 25, 2020, 18:56 [IST]
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