Interest Free Banking : बिना ब्याज की बैकिंग अगर आप यह शब्द आप सुनते है, तो फिर आपको जरूर ही खुशी होती होगी। मगर आप सोचा हैं। कि कोई बैंक दिया जाता हैं। जिसको आपको चलाना हैं। मगर आपको ब्याज नही लेना हैं, तो क्या होगा। आपके मन में एक सवाल जरूर खड़ा होगा। जो बिना ब्याज के बैंकिंग हैं वो कैसे हो सकती हैं। दरअसल बिना ब्याज के जो बैंकिंग हैं। उसको इस्लामिक बैंकिंग के रूप में तौर पर जाना जाता हैं।
क्यों हो रही इसकी चर्चा
इसकी जो चर्चा हैं इसी वजह से हो रही हैं। क्योंकि पाकिस्तान ने अल्टिमेटम दिया है। हम वर्ष 2027 तक जो ब्याज मुक्त बैंकिंग हैं उसको अपनाएंगे। पाकिस्तान जो इस्लामिक कानून हैं उसके तहत वर्ष 2027 तक ब्याज मुक्त बेकिंग की शुरुआत करना चाहता है। पाकिस्तान के जो वित्त मंत्री है इशाक धर ने यह बयान दिया है कि वह वर्ष 2027 तक बिना ब्याज वाली जो बैंकिंग हैं उसको अपनाएंगे। ऐसे यह समझना बेहद जरूरत है कि पाकिस्तान ने क्यों यह फैसला लिया हैं।
पाकिस्तान की फेडरल शरीयत कोर्ट क्या है
पाकिस्तान में जो फेडरल शरीयत कोर्ट है। उसने यह फैसला लिया हैं। कि जो पैसा लोन दिया जाता हैं उस पर अतिरिक्त ब्याज नही लिया जा सकता हैं। इस्लाम में जो ब्याज है। उसको रिबा के जाता है कोर्ट ने रिबा को हराम करार दिया हैं और कहा है कि यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है। रिबा लेना जो शरीयत कानून हैं उसके मुताबिक हराम है। इस्लामिक बैंकिंग की बात करते है, तो फिर इसमें ब्याज नही लिया जाता है। बल्कि जो बिजनेस होता हैं उसमें हिस्सेदारी लेता हैं यानी बिजनेस में जो मुनाफा होता हैं उसका एक हिस्सा बैंक लेता हैं। इसको ब्याज नही मुनाफे का हिस्सा कहा जाता हैं।
इस्लामिक बैंकिंग व्यवस्था क्यों सही नहीं
जो इस्लामिक बैंकिंग है इसकी सबसे बड़ी खामी यह है कि जो बिजनेसमैन होता हैं। उसको अपनी कम्पनी की हिस्सेदारी देना होता हैं उसके साथ ही मुनाफा भी बैंक को देना होता है। बल्कि फैसले लेने की जो आजादी होती हैं। वो भी पूरी तरह से खत्म हो जाती हैं। इसके साथ ही बैंक केवल बिजनेस को लोन देता हैं और वो बिजनेस को लोन देता हैं जो मुनाफा कमा रहा हो। इसके साथ ही यह जो बैंक हैं व्यक्तिगत तौर पर किसी को लोन नहीं देता हैं।
कब हुई भारत में चर्चा
भारत में भारतीय स्टेट बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने जो इस्लामिक बैंकिंग व्यवस्था हैं। उसका सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था। बहुत से लोग होते हैं जो ब्याज नही दे पाते है इसी वजह से लोन नहीं ले पाते हैं। इसी कारण रघुराम राजन है उन्होंने यह जो बैंकिंग मॉडल है उसकी वकालत की थी। आरबीआई वर्ष 2016 में पहले से काम कर रहे बैंकों में एक विंडो यह जो मॉडल हैं उसके आधार पर मुहैया कराने की बात भी कही थी। मगर वर्ष 2017 में इसे खारिज कर दिया गया और कहा कि देश में भीतर बैंकिंग की जो सुविधा हैं सभी के पास हैं। आरबीआई ने तर्क भी दिया है। कि जो जनधन योजना है। उसमें ब्याज न के बराबर लिया जाता है, और जो लोग हैं उनको पैसे दिया जाता हैं। अगर जो इस्लामिक बैंकिंग व्यवस्था हैं उसको लागू किया जाएगा, तो फिर इसके लिए कानून को बदलना पड़ेगा।
Interest Free Banking How will banking be done without interest check where it is starting
If you hear this word, interest-free banking, then you must be happy. But you have thought. that a bank is given. which you have to drive. But what if you do not want to take interest.
Story first published: Tuesday, November 22, 2022, 19:59 [IST]