बीमा एजेंटों की कमाई घट सकती है नए टैक्स स्लैब से
मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया। बजट में इनकम टैक्स स्लैब से लेकर बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस को बढ़कार 5 लाख रुपये करने समेत कई बड़े ऐलान हुए।
नई दिल्ली: मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया। बजट में इनकम टैक्स स्लैब से लेकर बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस को बढ़कार 5 लाख रुपये करने समेत कई बड़े ऐलान हुए। बजट में प्रस्तावित नए टैक्स स्लैब से आम करदाताओं पर टैक्स का बोझ भले ही कुछ घट जाए, लेकिन जीवन या साधारण बीमा और पोस्ट ऑफिस बचत योजना बेचने वाले एजेंटों को इससे नुकसान हो सकता है। इस बात की जानकारी एलआईसी एजेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया के महासचिव पीजी दिलीप ने दी है। उन्होंने कहा कि भारत में जीवन बीमा योजना बेची जाती है। खरीदी नहीं जाती। यह सामाजिक सुरक्षा योजना है। नए टैक्स स्लैब में करदाताओं को टैक्स बचाने वाले उपाय किए बिना टैक्स का भुगतान करने का विकल्प दिया गया है। जबकि पुराने टैक्स स्लैब में करदाताओं के पास जीवन या स्वास्थ्य बीमा खरीदकर या पीपीएफ या अन्य उपकरणों में निवेश कर टैक्स बचाने का विकल्प मौजूद था। इस बैंक का रखते हैं डेबिट या क्रेडिट कार्ड तो EMI ट्रांजैक्शन पर मिलेगी छूट ये भी पढ़ें
एलआईसी में करीब 11.89 लाख एजेंट
वहीं उन्होंने बताया कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में करीब 11.89 लाख एजेंट काम करते हैं। देश में एक लाख रुपए से पांच लाख रुपए तक सम एस्योर्ड वाली योजनाएं अधिक बेची जाती हैं। प्रस्तावित नया टैक्स स्लैब के तहत करदाताओं पर टैक्स का बोझ कुछ घट सकता है और उन्हें टैक्स बचाने के लिए बीमा योजना खरीदने की जरूरत नहीं पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि इसके कारण एजेंट के लिए बीमा योजना बेचना अधिक कठिन हो जाएगा।
बता दें कि चार्टर्ड अकाउंटेंट पीएस प्रभाकर ने कहा कि नए टैक्स स्लैब से बीमा कंपनियों को बड़ा धक्का लगेगा, क्योंकि बीमा कवर बेचे जाते हैं। खरीदे नहीं जाते हैं। करदाता टैक्स बचाने के लिए जीवन या स्वास्थ्य बीमा खरीदते हैं। यह स्वाभाविक है कि विकल्प मिलने पर करदाता बीमा योजना नहीं खरीदेगा। एक निजी जीवन बीमा कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे देश में बीमा का दायरा घटेगा।
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