Indian Economy : जुलाई-सितंबर में 6.2 फीसदी रह सकती है Growth Rate
Indian Economy : भारतीय अर्थव्यस्था जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.2 प्रतिशत के समान्य वृद्धि को हासिल कर सकती है। पिछली तिमाही में दोहरे अंकों के विस्तार के बाद जुलाई-सितंबर में भारतीय अर्थव्यवस्था की सामान्य 6.2 प्रतिशत के वार्षिक वृद्धि दर पर लौटने की संभावना है, लेकिन कमजोर निर्यात और निवेश में कमी भविष्य के ग्रोथ की संभावनाओं को कम कर सकता है। रॉयटर्स के एक पोल में यह डाटा प्रकाशित किया गया है।
अप्रैल जून तिमाही में बेहतर रही थी ग्रोथ
अप्रैल-जून में तिमाही में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने एक साल पहले की तुलना में 13.5 प्रतिशत की शानदार ग्रोथ दिखाई थी। मुख्य रूप से 2021 में अप्रैल-जून तिमाही में कोरोना के दूसरी लहर के कारण ग्रोथ बेहद खराब रही थी।
कम नहीं हो रही है मुद्रास्फिति
पिछले 19 कई महीनों से मुद्रास्फिति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तय लिमिट से ऊपर बनी हुई है। मुद्रास्फिति लागातर 6 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। महंगाई के कारण अर्थव्यवस्था में ग्रोथ सिमित हो रही है। 22-28 नवंबर को 43 अर्थशास्त्रियों के रॉयटर्स पोल में नवीनतम तिमाही के लिए 6.2 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का अनुमान लगया है। यह अनुमान आरबीआई की 6.3 प्रतिशत के पूर्वअनुमान से कम है। आरबीआई के पूर्वानुमान 3.7 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत के बीच हैं।
सामान्य हो सकती है वृद्धि दर
अप्रैल-जून 22 तिमाही में बेहतर ग्रोथ आधार इंडिया के लिए बेहतर है। पिछली तिमाही के आधार पर जुलाई-सितंबर '22 में सालाना आधार पर नेट जीडीपी में वृद्धि दर सामान्य होने की उम्मीद है।
हालांकि व्यापार सर्वेक्षणों ने अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर आर्थिक गतिविधियों का संकेत दिया है। सभी देशों के केंद्रीय बैंक उच्च ब्याज दरों के साथ बढ़ती मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं। भारत में अभी स्थिती अभी मजबूत बनी हुई है।
पिछली तिमाही से बेहतर हैं आकड़े
जारी डाटा के अनुसार पिछली तिमाही की तुलना में औसतन केवल 1.5 प्रतिशत की वार्षिक गति से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई है। पिछले दो वर्षों की तुलना में यह सबसे कमजोर है, यह मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में मंदी की आशंका की ओर संकेत करता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जीडीपी क्रमिक रूप से बढ़ने की उम्मीद है। सेवाओं में निरंतर सुधार होने से जीडीपी बेहतर बनी हुई है। खनन और विनिर्माण में गिरावट की उम्मीद है। कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यस्था अभी बहुत तेजी से नहीं बढ़ सकती है।
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