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Lockdown : अमेरिका में बहाया गया दूध, तो भारत ने बना डाला पॉउडर

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मुंबई। कोरोना महामारी के कहर के चलते पूरी दुनिया की चरमराई आर्थिक गतिविधियों के बीच अमेरिका के किसानों को जहां कई टन दूध फेंकना पड़ा है वहां दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक भारत ने इसका बखूबी इस्तेमाल कर रहा है। देशभर में फैले सहकारी संगठनों का नेटवर्क इस कार्य में काफी सहायक साबित हुआ है। इसके माध्यम से देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी घर-घर दूध की सप्लाई बनी हुई है और खपत से ज्यादा बचे दूध का इस्तेमाल मिल्क पाउडर बनाने में किया जा रहा है।

 

दुग्ध व डेयरी कारोबार से जुड़े इन सहकारी संगठनों ने लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ लोगों के घरों तक दूध पहुंचाने का काम किया है बल्कि देश के करोड़ों किसानों से दूध खरीद कर उनकी रोजी-रोटी का ख्याल रखा है। मदर डेयरी, अमूल, नंदिनी, पराग और कई अन्य सहकारी संगठन अधिक सक्रियता से किसानों से दूध खरीद रहे हैं और रोजाना खपत के बाद बचे दूध का उपयोग मिल्क पाउडर बनाने में हो रहा है।

लॉकडाउन में रखा पशुपालक किसानों का ध्यान

लॉकडाउन में रखा पशुपालक किसानों का ध्यान

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के अध्यक्ष दिलीप रथ का कहना है कि 1.35 अरब की आबादी वाले देश में हमने घर-घर दूध की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की है। साथ ही, लॉकडाउन के दौरान पशुपालक किसानों के हितों का ध्यान रखा। देशव्यापी लॉकडाउन से लोगों की क्रय शक्ति पर असर पड़ा है, क्योंकि ज्यादातर व्यावसायिक प्रतिष्ठान, बाजार और कल-कारखाने बंद हैं। यही वजह है कि दूध व डेयरी उत्पादों की खपत व बिक्री प्रभावित हुई है। इन सबके बावजूद भारत के सहकारी मॉडल ने दुग्ध उत्पादकों के हितों की रक्षा की जबकि अमेरिका में सप्लाई चेन बाधित होने से डेयरी से जुड़े किसानों को अपना दूध फेंकना पड़ा। कुछ ऐसी ही स्थिति यूरोप की भी रही, जहां ताजा डेयरी उत्पाद बर्बाद हो गए।

किसानों के साथ लगातार खड़े रहे
 

किसानों के साथ लगातार खड़े रहे

एनडीडीबी अध्यक्ष दिलीप रथ ने कहा, लेकिन हमारे सहकारी संगठन किसानों की मदद के लिए उनके साथ खड़े रहे। बिक्री में गिरावट के बावजूद सप्लाई पर असर नहीं हुआ। हम लगातार किसानों से दूध खरीद रहे हैं और खपत खपत से ज्यादा हुए दूध का इस्तेमाल मिल्क पाउडर बनाने में किया जा रहा है।

लॉकडाउन के दौरान महज डेढ़ महीने में भारत में मिल्क पाउडर का उत्पादन दोगुना हो गया। एनडीडीबी के आंकड़ों के अनुसार, 15 मार्च को मिल्क पाउडर का स्टॉक महज 70,000 टन था जो 30 अप्रैल को बढ़कर 1.34 लाख टन हो गया, जोकि तकरीबन दोगुना है। देश के सभी मिल्क पाउडर बनाने वाले संयंत्रों में उनकी 92-100 फीसदी क्षमता के साथ काम चल रहा है। दिलीप रथ ने कहा कि मिल्क पाउडर का इस्तेमाल बाद में घरेलू उपभोग के लिए किया जा सकता है और इसका निर्यात भी हो सकता है। लॉकडाउन के दौरान दूध की आपूर्ति लगातार बनी हुई है मगर दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री घट गई है।

काम आया राष्ट्रीय डेयरी योजना के मिशन

काम आया राष्ट्रीय डेयरी योजना के मिशन

दिलीप रथ विश्व बैंक समर्थित राष्ट्रीय डेयरी योजना के मिशन डायरेक्टर भी हैं। उन्होंने कहा, आरंभ में थोड़ी दिक्कतें आईं, लेकिन बाद में सप्लाई चेन दुरुस्त हो गई और 15 मार्च से 30 अप्रैल के दौरान दूध की खरीद में महज 3.50 फीसदी कमी आई, मगर बिक्री 13.70 फीसदी घट गई। हालांकि अप्रैल के दूसरे पखवाड़े से हम देख रहे हैं कि देशभर में दूध की बिक्री 1.30 फीसदी बढ़ी है। असल में दूध की खरीद और बिक्री दोनों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

भारत में डेयरी से जुड़े सहकारी संगठन रोजाना 508 लाख किलो दूध खरीदते हैं। एनडीडीबी की रिपोर्ट बताती है कि भारत के गावों में 1,90,500 सहकारी संगठन हैं, जो 245 दुग्ध संघों और 22 परिसंघों से जुड़े हैं। वर्तमान में 169 लाख किसान गांवों के इन सहकारी संगठनों से जुड़े हैं।

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English summary

India used milk better than US during lockdown milk in hindi

During the lockdown, where milk was wasted in the US, India made powder from milk.
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