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Digital हो रहा भारत, Mobile Payment ने ATM को छोड़ा पीछे

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नयी दिल्ली। अब इस तरह के संकेत मिलने लगे हैं कि भारत एक ऐसी डिजिटल पेमेंट वाली अर्थव्यवस्था बनता जा रहा है, जो कैश पर बहुत कम निर्भर करती है। 2019 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में पहली बार ऐसा हुआ कि मोबाइल पेमेंट वैल्यू एटीएम से निकाले गए कैश की वैल्यू से अधिक रही। पिछले साल की आखिरी तिमाही में मोबाइल पेमेंट वैल्यू 10.57 लाख करोड़ रु की रही, जबकि एटीएम से 9.12 लाख करोड़ रु का कैश निकाला गया। इसके बाद 2020 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में ये गैप और बढ़ा। इस तिमाही में एटीएम से कैश निकासी 5 फीसदी गिर कर 8.66 लाख करोड़ रु रह गई, जबकि मोबाइल पेमेंट में इजाफा हुआ। जनवरी-मार्च 2020 में मोबाइल पेमेंट वैल्यू 10.97 लाख करोड़ रु की रही। बैंकरों की मानें तो इस बदलाव में लॉकडाउन का भी प्रभाव रहा।

 

अप्रैल और मई में भी बरकरार रहा ये ट्रेंड

अप्रैल और मई में भी बरकरार रहा ये ट्रेंड

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एक जानकार कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान लोगो की मूवमेंट पर पाबंदी के कारण अप्रैल और मई में भी ये ट्रेंड बरकरार रहा। इस दौरान भारत में अमेरिका, यूके, थाईलैंड और सिंगापुर के मुकाबले डिजिटल पेमेंट में काफी तेज ग्रोथ हुई। इसमें बड़ा योगदान यूपीआई का रहा। बैंकर कहते हैं कि इस ट्रेंड के बरकरार रहने की उम्मीद है। कोटक महिंद्रा बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेखर भंडारी कहते हैं कि मौजूदा स्थिति नोटबंदी के बाद सामने आई स्थिति से तुलनीय नहीं है। कोई नहीं जानता कोरोनोवायरस संकट कब तक रहेगा। कारोबारियों को पता है कि फिलहाल कुछ समय तक वे फिजिकल ट्रांजेक्श नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि लेन-देन में आसानी, स्पीड, व्यापार में सुरक्षा और कई व्यवसायों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था को देखते हुए वापस कैश की तरफ जाने की उम्मीद नहीं है।

कितनी रही यूपीआई पेमेंट
 

कितनी रही यूपीआई पेमेंट

यूपीआई पेमेंट अप्रैल में मामूली गिरावट के साथ 1.51 लाख करोड़ रुपये के रह गई। मगर जल्द ही मई में इसने वापसी करते हुए 2.18 लाख करोड़ रुपये की लेन-देन दर्ज की, जो कोरोना संकट से पहले के स्तरों से भी अधिक है। पिछले साल यूपीआई पेमेंट ने कार्ड से होने वाली पेमेंट की वैल्यू को पीछे छोड़ दिया था और अब यूपीआई की लीड में बढ़ोतरी हो रही है। दिसंबर 2019 में यूपीआई से लगभग 2 लाख करोड़ रु का भुगतान हुआ, जबकि कार्ड से 1.5 लाख करोड़ रु का। मई में कार्ड से 80300 करोड़ रु के मुकाबले यूपीआई से 2.18 लाख करोड़ रु का लेन-देन हुआ।

जो काम 6 साल में नहीं हुआ 20 दिन में हो गया

जो काम 6 साल में नहीं हुआ 20 दिन में हो गया

बैंकरों का कहना है कि डिजिटलीकरण कई सेक्टरों में दिख रहा है, जिनमें खुदरा, एसएमई और असंगठित व्यापार शामिल है। कई ग्राहक जो 5-6 वर्षों तक इस डिजिटल अभियान का हिस्सा नहीं बने वो 20 दिनों के अंदर डिजिटल हो गए। जानकार कहते हैं कि टेक्नोलॉजी इस संकट में सबसे बड़ी लाभार्थी बन गई है और इसी से लगातार व्यापार भी हो पा रहा है। हालांकि कैश से लेन-देन भी कम नहीं हुआ है। 10 जुलाई को आरबीआई की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार करेंसी सर्कुलेशन 21.4 फीसदी की सालाना दर से बढ़ कर 26.8 लाख करोड़ रुपये हो गई। मगर अच्छी बात ये है कि कैश सर्कुलेशन में बढ़ोतरी के बावजूद डिजिटल पेमेंट में निरंतर इजाफा हो रहा है।

Digital Payment : तेजी से हो रही बढ़ोतरी, जानिए क्या है वजहDigital Payment : तेजी से हो रही बढ़ोतरी, जानिए क्या है वजह

English summary

India is getting Digital tremendous growth in mobile pament compared to ATM

The mobile payment value stood at Rs 10.97 lakh crore in January-March 2020. According to bankers, lockdown was also affected in this change.
Story first published: Saturday, July 18, 2020, 16:55 [IST]
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