भारत का कमाल : GDP घटने के बावजूद बढ़ा FDI, 6 महीनों में आए 30 अरब डॉलर
नयी दिल्ली। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 15 प्रतिशत बढ़ कर 30 अरब डॉलर रहा। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग की तरफ से जारी किए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितंबर 2019-20 के दौरान भारत में 26 अरब डॉलर का एफडीआई आया था। जुलाई में भारत को 17.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला था।
किस सेक्टर को मिला ज्यादा एफडीआई
अप्रैल-सितंबर 2020-21 के दौरान अधिकतम एफडीआई आकर्षित करने वाले सेक्टरों में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (17.55 अरब डॉलर), सर्विसेज (2.25 अरब डॉलर), ट्रेडिंग (949 अरब डॉलर), रसायन (437 अरब डॉलर) और ऑटोमोबाइल (417 अरब डॉलर) शामिल हैं। सिंगापुर 8.3 अरब डॉलर के निवेश के साथ भारत में एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा। इसके बाद अमेरिका (7.12 अरब डॉलर), केमैन आइलैंड्स (2.1 अरब डॉलर), मॉरीशस (2 अरब डॉलर), नीदरलैंड्स (1.5 अरब डॉलर), यूके (1.35 अरब डॉलर), फ्रांस (1.13 अरब डॉलर) और जापान (65.3 करोड़ डॉलर) रहे। इसके अलावा डीपीपीआईटी के अनुसार कुल एफडीआई (पुनर्निवेशित आय सहित) लगभग 40 अरब डॉलर रहा।
एफडीआई की भूमिका अहम
एफडीआई इकोनॉमिक ग्रोत का प्रमुख चालक होता है। ये किसी देश के आर्थिक विकास के लिए नॉन-डेब्ट फाइनेंस का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है। सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई सुधार किए हैं, जिसमें कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग और कोयला खनन शामिल हैं।
जीडीपी में गिरावट
कोरोना संकट में भारत को इतना एफडीआई तब मिला है जब पिछली लगातार दो तिमाहियों में भारती जीडीपी की भारी गिरावट आई है। अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी 23.9 फीसदी गिरी थी। जबकि जुलाई-सितंबर में ये 7.5 फीसदी घटी है। दूसरी तिमाही में जीडीपी के आकंड़े उम्मीद से बेहतर रहे। असल में आरबीआई और रेटिंग एजेंसी 8.6 फीसदी गिरावट का अनुमान लगा रहे थे। पर लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी घटने के चलते अब तकनीकी तौर पर भारत आर्थिक मंदी में है।
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