भारत बना सकता TikTok जैसे ऐप, बिजनेस मॉडल तैयार करना बड़ी चुनौती
सरकार ने चीन की 59 ऐप्स को भारत में बैन कर दिया है। जिन 59 ऐप्स पर सरकार ने पाबंदी लगाई है, उसमें टिक टॉक भी शामिल है। टिक टॉक न सिर्फ देश बल्कि दुनिया की सबसे पॉपुलर ऐप्स है।
नई दिल्ली: सरकार ने चीन की 59 ऐप्स को भारत में बैन कर दिया है। जिन 59 ऐप्स पर सरकार ने पाबंदी लगाई है, उसमें टिक टॉक भी शामिल है। टिक टॉक न सिर्फ देश बल्कि दुनिया की सबसे पॉपुलर ऐप्स है। दुनियाभर में टिक टॉक के डेढ़ अरब से ज्यादा डाउनलोड हैं। इसमें से एक तिहाई हिस्सा भारतीयों का है। इसी संबंध में इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने कहा कि भारत टिक टॉक जैसे ऐप बना सकता है, लेकिन ऐप्स के लिए बिजनेस मॉडल तैयार करना आसान नहीं है। अब जब भारत में टिक टॉक और 58 अन्य चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो देश में रिप्लेसमेंट ऐप बनाने की बात हो रही है। भूल जाओ Facebook और चीनी ऐप, देश का पहला सोशल मीडिया ऐप Elyments लॉन्च ये भी पढ़ें
हाल ही में इंफोसिस के चेयरमैन ने एक जानमानी टीवी से खास बातचीत में कहा कि टिक टॉक जैसे ऐप बनाना भारत में हर लिहाज से संभव है, लेकिन ऐप्स के लिए बिजनेस मॉडल तैयार करना बड़ी चुनौती है क्योंकि भारत अभी भी एक बहुत बड़ा डिजिटल एडवरटाइजिंग मार्केट नहीं है और टिक टॉक जैसे एप्लिकेशन विज्ञापन के भरोसे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि टिक टॉक जैसे अन्य दूसरे ऐप के बिजनेस मॉडल को समझना होगा। फेसबुक और गूगल की तरह टिक टॉक की भी कमाई विज्ञापन से होती है। टिक टॉक ऐप का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी बाइटडांस के संस्थापक झांग यिमिंग रिच लिस्ट के टॉप 20 अमीरों में गिने जाते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत को चीन और अमेरिका की तरह एक बड़ा डिजिटल एडवरटाइजिंग मार्केट बनना बाकी है। टीवी, प्रिंट और डिजिटल में भारत में कुल विज्ञापन खर्च लगभग 10-12 बिलियन डॉलर है और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ये लगभग 2-3 बिलियन डॉलर है। इसलिए भारत में अनिवार्य रूप से इनमें से अधिकांश प्रोडक्ट्स से कमाई नहीं हो पाती है लेकिन ये रणनीतिक कारणों से यहां हैं क्योंकि वे एक बड़ा यूजर बेस बनाना चाहते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि कहा कि भारत में वट्सऐप के 400 मिलियन यूजर्स हो सकते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि बहुत से पैसे कमाते हैं। यदि आप अपना प्रोडक्ट रखना चाहते हैं तो आपके पास अन्य देशों से क्रॉस-सब्सिडी प्राप्त करने के लिए रेवेन्यू नहीं है। ये मुद्दा टेक्नोलॉजी से थोड़ा बड़ा है। हम भारत में विज्ञापन को देखते हुए कैसा प्रोडक्ट बनाते हैं ये महत्वपूर्ण है।
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