LIC के लिए बढ़ रहा खतरा, NPA पहुँचा रिकॉर्ड स्तर पर
नयी दिल्ली। सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी का एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है। एनपीए का मतलब है फंसे हुए लोन, जिनके डुबने की संभावना होती है। दिसंबर 2019 तक एलआईसी के डेब्ट पोर्टफोलियो में सकल एनपीए अनुपात बढ़ कर 7.49 फीसदी हो गया, जो दिसंबर 2018 तक 6.06 फीसदी था। यह एलआईसी के डेब्ट पोर्टफोलियो में सकल एनपीए का सबसे ऊंचा स्तर है। यहां गौर करने वाली बात है कि एलआईसी के अलावा अन्य बीमा कंपनियों जैसे कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस और एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस का सकल एनपीए शून्य है। एलआईसी का शुद्ध एनपीए अनुपात दिसंबर 2018 और दिसंबर 2019 को भी 0.36 फीसदी रहा।
एलआईसी की बैलेंस शीट
दिसंबर 2019 तक एलआईसी के पास 32.5 लाख करोड़ रुपये की बैलेंस शीट के साथ पर्याप्त आधार है। मगर फिर भी एनपीए का यह आंकड़ा काफी चिंताजनक है। जानकारों के मुताबिक इससे एलआईसी के निवेश और बाद के रिटर्न में गहरी समीक्षा होगी। एलआईसी एक ऐसी बीमा कंपनी है जो लंबी अवधि के उपकरणों में निवेश करती है, इन उपकरणों पर बाजार बहुत बारीक नजर रखेगा। वहीं बैंकों की बात करें तो अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही की समाप्ति पर एसबीआई का सकल एनपीए अनुपात और आईसीआईसीआई बैंक का 5.95 फीसदी था।
एलआईसी का कुल निवेश
31 दिसंबर 2019 तक एलआईसी ने 32 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं दिसंबर 2018 तक ये आंकड़ा 29 लाख करोड़ रुपये था। आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2019 को एलआईसी ने अपनी निवेश संपत्ति स्टेटमेंट में संदिग्ध ऋण के प्रावधान के रूप में 35,466.10 करोड़ रुपये निर्धारित किये हैं, जो एक साल पहले 25,825.73 करोड़ रुपये थे। एलआईसी अपने तीन खंडों में डेब्ट और इक्विटी में निवेश करती है, जिनमें लाइफ फंड, यूनिट लिंक्ड फंड और पेंशन फंड शामिल हैं।
पिछले 5 साल में बढ़े एनपीए
पिछले 5 सालों में एलआईसी के एनपीए में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान एलआईसी के फंसे हुए लोन दोगुने होकर 30000 करोड़ रुपये पर पहुँच गये। इसके लिए कई कंपनियां जिम्मेदार हैं। इसका एनपीए रेशियो 2019-20 की अप्रैल-सितंबर छमाही में 6.10 फीसदी रहा था। यही हाल यस बैंक, एक्सिस और आईसीआईसीआई बैंक का भी है। एक समय प्राइवेट बैंकों के एनपीए काफी कम थे, मगर चुनौतीपूर्ण कारोबारी माहौल के कारण इनके एनपीए में वृद्धि हुई।
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