Income Tax : जानिए Post Office बचत स्कीमों पर कितना देना होता है टैक्स
नई दिल्ली, जुलाई 22। निवेशक को निवेश करते समय दो चीजें सुनिश्चित कर लेनी चाहिए। एक आपका निवेश विकल्प आपको महंगाई दर की तुलना में अधिक रिटर्न दे रहा हो। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 7 प्रतिशत है, तो आपको रिटर्न उससे अधिक मिले। दूसरा, रिटर्न पर टैक्स की देनदारी अधिक नहीं हो। टैक्स आपके रिटर्न को कम कर देता है। बड़ी संख्या में लोग स्मॉल सेविंग स्कीम्स लघु बचत योजनाओं में इन्वेस्ट करते हैं। मगर बहुत से लोगो को यह पता नहीं होता कि रिटर्न पर कितना टैक्स लगेगा। हम आज आपको इसी के बारे में बताएंगे।
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पब्लिक प्रोविडेंट फंड
पब्लिक प्रोविडेंट (पीपीएफ) में तीन स्तरों पर टैक्स छूट मिलती है। इस योजना में सालाना 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर धारा 80सी के तहत कर छूट का लाभ मिलता है। इस पर मिलने वाला मैच्योरिटी और ब्याज के समय की गई निकासी भी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है।
सुकन्या समृद्धि योजना
सुकन्या समृद्धि योजना भी ट्रिपल ई स्टेटस के साथ आती है। आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत यह पर किया गया निवेश टैक्स फ्री होता है। इस योजना में भी आप एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक इन्वेस्ट कर सकते हैं।
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम में जमा पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। वहीं, अगर एक साल में 50,000 रुपए से अधिक ब्याज आय होती है, तो उस पर टीडीएस कटेगा।
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स में निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर छूट का लाभ मिलता है। वहीं, इस योजना में मैच्योरिटी पर मिलने वाला ब्याज कर योग्य होता है। ब्याज निवेशक की कुल सालाना आय में जुड़ता है।
टाइम डिपॉजिट और आवर्ती जमा योजना
टाइम डिपॉजिट योजना जो पोस्ट ऑफिस की योजना है। वह बैंक एफडी की तरह काम करती है। टाइम डिपॉजिट पर सिर्फ पांच साल के लिए आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। और लघु बचत योजनाओं में आरडी काफी प्रचिलित योजना है। इस योजना में मिलने वाला ब्याज निवेशक की वार्षिक आय में जुड़ जाता है, जिस पर स्लैब के आधार पर टैक्स लगता है।
मासिक आय योजना और किसान विकास पत्र
मासिक आय योजना में इन्वेस्टमेंट पर आयकर में कोई छूट नहीं मिलती। हालांकि, ब्याज आय कर योग्य होती है। और किसान विकास पत्र में किए गए इन्वेस्टमेंट पर आयकर में छूट का कोई लाभ नहीं मिलता। इस निवेश पर मिलने वाला ब्याज इन्वेस्टर की वार्षिक आय में जुड़ जाता है, जिस पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स की गणना की जाती है।