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IMF : कोरोना से निपटने के लिए अमीर देश करें गरीब देशों की मदद

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नयी दिल्ली। आईएमएफ चीफ Kristalina Georgieva ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी से वैश्विक इकोनॉमी बहुत बुरा आर्थिक नुकसान हो रहा है। उनके मुताबिक ये 2009 से बुरी स्थिति हो सकती है। इससे निपटने के लिए मजबूत रेस्पोंस की जरूरत होगी। आईएमएफ प्रमुख का कहना है कि इस स्थिति में अमीर या एडवांस्ड इकोनॉमी वाले देशों को कम आय वाले देशों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि आईएमएफ 1 लाख करोड़ डॉलर का कर्ज देने के लिए तैयार है। दुनिया कोरोनावायरस के कारण शटडाउन का सामना कर रही है। इसे देखते हुए Georgieva ने जी20 देशों के वित्त मंत्रियों को चेताया है कि 2020 के लिए आउटलुक नकारात्मक है। बता दें कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 0.6 प्रतिशत तक की कमी आई, लेकिन उस समय चीन और भारत जैसे प्रमुख उभरते बाजार तेजी से बढ़ रहे थे। इधर पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी सरकार और केंद्रीय बैंक को उपाय बताए हैं।

इन देशों के लिए बड़ी चुनौती

इन देशों के लिए बड़ी चुनौती

आईएमएफ का कहना है कि उभरते बाजारों और कम आय वाले देशों को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा। उन्हें अतिरिक्त वित्तीय सहायता और यहां तक कि लोन राहत की आवश्यकता हो सकती है। निवेशकों ने पहले ही इस संकट के शुरू होते ही उभरते बाजारों में से 83 अरब डॉलर की राशि निकाल ली है। वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए लगभग 80 देशों ने पहले ही आईएमएफ से आपातकालीन सहायता का अनुरोध किया है।

आरबीआई के लिए रघुराम राजन की सलाह
 

आरबीआई के लिए रघुराम राजन की सलाह

वर्तमान हालात को देखते हुए पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने बताया है कि प्रभाव कम करने के लिए आरबीआई को क्या करना चाहिए। उनके मुताबिक सबसे पहले तो जूझ रहे कारोबारों को कर्ज दिये जाने की जरूरत है। हालांकि समस्या यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से ही चल रही मंदी के कारण आरबीआई बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं है। राजन के अनुसार हमारे पास एक फाइनेंशियल सिस्टम है जो बिगड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि हमें इसे बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि यह जरूरी रूप से काम कर सके। अब समस्या यह है कि आरबीआई कारोबारों को लोन नहीं दे सकता।

सरकार को आगे आना होगा

सरकार को आगे आना होगा

मौजूदा हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए गारंटी देनी होगी कि बैंक छोटे और मध्यम उद्यमों के साथ-साथ बड़ी फर्मों को भी कर्ज देते रहें। साथ ही बैंकों को प्रोत्साहन देना होगा ताकि वे कर्ज का जोखिम ले सकें। राजन का कहना है कि आरबीआई को दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों से सबक लेना चाहिए जो लिक्विडिटी आसान करके योगदान दे रहे हैं। उनके मुताबिक लिक्विडिटी कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। लेकिन हमें ध्यान से सोचने की जरूरत है क्योंकि पहले से ही बड़े एनपीए हैं। चिकित्सा संसाधनों की वैश्विक आपूर्ति में कमी पर पूर्व-आरबीआई प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में जो उपलब्ध है, उसे हासिल करने के लिए सभी उपाय करनें होंगे।

 

इकोनॉमी बेहाल : अब क्रिसिल ने कम की भारत की विकास दरइकोनॉमी बेहाल : अब क्रिसिल ने कम की भारत की विकास दर

English summary

IMF says situation can be worse than 2009 raghuram rajan advices RBI

The global economy declined by 0.6 percent in 2009 as a result of the 2008 global financial crisis, but major emerging markets such as China and India were growing rapidly at the time.
Story first published: Tuesday, March 24, 2020, 14:49 [IST]
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