IMF चीफ की बड़ी चोतावनी : Bitcoin के नाम में 'Coin' का मतलब पैसा नहीं
नई दिल्ली, मई 24। आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने सोमवार को क्रिप्टो प्रोडक्ट्स को लेकर एक चेतावनी जारी की है। उन्होंने क्रिप्टो प्रोडक्ट्स और करेंसीज में कंफ्यूज होने को लेकर आगाह किया और कहा कि एक सॉवरेन गारंटी के बिना कुछ भी एक एसेट क्लास हो सकता है, लेकिन करेंसी नहीं हो सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिटकॉइन केवल इसलिए 'मनी' नहीं हो सकता है क्योंकि इसके नाम में 'कॉइन' है।
Cryptocurrency : इससे बुरा क्या होगा, 21 करोड़ रु के रह गए 50 हजार रु
क्या है आज की जरूरत
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक में यहां केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसियों पर एक सत्र में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि क्रिप्टो प्रोडक्ट बहुत कम लागत और बेहतर समावेशिता (इंक्लूसिविटी) पर तेज सेवाएं दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए केले से सेब को अलग करने (पैसे को एसेट क्लास से) की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यहां रेगुलेशन महत्वपूर्ण होगा।
करेंसी नहीं है क्रिप्टो
उसी सत्र में सेंट्रल बैंक ऑफ फ्रांस के गवर्नर फ्रेंकोइस विलेरॉय डी गलहौ ने कहा कि जब बैंकनोट भी एक महान तकनीकी प्रगति साबित हुए, उन्हें पेश किया गया। उन्होंने कहा कि वे हमेशा क्रिप्टो को एसेट बोलते हूं न कि करेंसी। किसी भी करेंसी के लिए, किसी को जिम्मेदारी लेनी होती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा कोई नहीं होता। साथ ही, करेंसियों को बहुत अधिक विश्वास की आवश्यकता होती है और उन्हें जरूरत होती है कि वे सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य हों।
करेंसी और ट्रस्ट एक साथ
फ्रेंकोइस के अनुसार हमारे पास एक तरफ करेंसी और दूसरी तरफ ट्रस्ट नहीं हो सकता। इन्हें एक साथ रहने की जरूरत है। केंद्रीय बैंकों में लोगों के विश्वास के नुकसान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने जवाब दिया मेरी धारणा यह है कि लोग क्रिप्टो में भी विश्वास खो रहे हैं और विश्वास की हानि केंद्रीय बैंकों की तुलना में अधिक है। सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) पर, उन्होंने कहा कि वे केवल भुगतान के तरीके होंगे, न कि निवेश संपत्ति।
बैंक नोटों पर निर्भर रहेगी बरकरार
उन्होंने यह भी कहा कि सीबीडीसी के आने के बावजूद दुनिया अगली शताब्दी के लिए बैंक नोटों पर निर्भर रहेगी। आईएमएफ प्रमुख डिजिटल करेंसी के साथ-साथ बैंकनोटों के भविष्य के बारे में भी आशावादी दिखाई दीं और एक उदाहरण का हवाला दिया कि जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तो साइबर हमले के डर से बैंक नोटों की मांग में भारी वृद्धि हुई थी।
क्या कहते हैं जानकार
विशेषज्ञों का मानना है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी में वित्तीय प्रणालियों को फिर से आकार देने, भुगतान और बैंकिंग की अप्रोच को बदलने की क्षमता है। अधिक देश सीबीडीसी के साथ प्रयोग कर रहे हैं और कुछ ने उन्हें बाजार में लाना शुरू कर दिया है, संभावित रूप से बाकी दुनिया के लिए वे सबक दे रहे हैं। पैनलिस्टों ने इस बात पर भी चर्चा की कि सीबीडीसी की शुरुआत के चारों ओर व्यापक आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभाव क्या हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र एक साथ कैसे काम कर सकते हैं कि सीबीडीसी डेवलपमेंट अंततः उपभोक्ताओं को लाभान्वित करता है और वित्तीय स्थिरता के जोखिम को कम करता है।