नैनो यूरिया : जानें किसानों को कैसे होगा फायदा
इफको मार्च से नैनो उर्वरक बनाना शुरू कर देगा जिससे किसानों को बचत होगी।
नई दिल्ली: इफको मार्च से नैनो उर्वरक बनाना शुरू कर देगा जिससे किसानों को बचत होगी। जी हां इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) अगले वर्ष मार्च से नई नैनो प्रौद्योगिकी आधारित नाइट्रोजन उर्वरक का उत्पादन शुरू कर देगा जिसके बाजार में उपलब्ध हो जाने से एक बोरी यूरिया की जगह एक बोतल नैनो उत्पाद से काम चल जाएगा।
किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य
एक बोतल नैनो यूरिया का मूल्य लगभग 240 रुपए होगा। इसका मूल्य परम्परागत यूरिया के एक बैग की तुलना में दस प्रतिशत कम होगा। यानी इसके इस्तेमाल से किसानों को धन की बचत होगी। कंपनी के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी ने मंगलवार को बताया कि गुजरात के अहमदाबाद स्थित कलोल कारखाने में नाइट्रोजन आधारित उर्वरक का उत्पादन किया जाएगा। यह पूरी तरह से मेक इन इंडिया के तहत होगा जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। कम्पनी की योजना सालाना ढाई करोड़ बोतल उत्पादन की है।
वर्तमान में तीन करोड़ टन यूरिया की खपत
बता दें अवस्थी का कहना है कि 500 मिलीलीटर की बोतल नैनो यूरिया 45 किलो यूरिया के बराबर होगा। इस नए उत्पाद से यूरिया के प्रयोग से देश में 50 प्रतिशत तक खपत कम होगी और फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। देश में वर्तमान में तीन करोड़ टन यूरिया की खपत है और किसान इसका अधिक इस्तेमाल करते हैं। नए उर्वरक के प्रयोग से अब उसके खर्च में कमी आएगी। अभी प्रति एकड़ 100 किलोग्राम यूरिया की जरुरत होती है। इस नए मामले में प्रति एकड़ एक बोतल नैनो उर्वरक या एक बैग यूरिया की जरुरत होगी।
देश में 11000 स्थानों पर इस्तेमाल
इफको, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सहायता से देश में 11000 स्थानों पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा 5000 अन्य स्थानों पर भी इसकी जांच की जा रही है। नैनो नाइट्रोजन उर्वरक का हरेक जलवायु क्षेत्र और मिट्टी में जांच की जाएगी। इस नई तकनीक से उर्वरक पर सब्सिडी आधी रह जाएगी।
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