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बीमे का डूब सकता है पैसा, जानिए सरकार का नया नियम

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नई दिल्ली। लोग बीमा इसलिए कराते हैं कि उनके मुश्किल वक्त में काम आए। लेकिन सरकार ने एक नियम बदल दिया है। ऐसे में बीमा पूरा होने पर अगर आपने उसका पैसा लेने में देर की तो यह डूब भी सकता है। इसलिए जरूरी है कि लोग बीमा मैच्योर होने पर जल्द से जल्द उसका पैसा लेने की कोशिश करें। कई घरों में ऐसा भी देखा गया है कि किसी का बीमा है लेकिन उसकी जानकारी घर वालों को नहीं है। ऐसे में बीमा पूरा होने या उसका क्लेम लेने में देर की गई तो यह पैसा डूब सकता है। इसलिए जरूरी है कि अगर बीमा कराया है तो उसकी जानकारी घर पर सभी जिम्मेदार लोगों को दें, उससे संबंधित कागजात कहां रखे हैं, यह भी इन जिम्मेदारों को पता हो। आइये जानते हैं कि सरकार का यह नय नियम क्या है।

10 साल बाद नहीं मिलेगा बीमा का मैच्योरिटी का पैसा

10 साल बाद नहीं मिलेगा बीमा का मैच्योरिटी का पैसा

अगर आपने कोई बीमा पॉलिसी कराई है, और उसके पूरा होने यानी उसके मैच्योर होने के 10 साल बाद तक आपने यह पैसा अपनी बीमा कंपनी से नहीं लिया है, तो इसे डूबा हुआ ही समझें। बीमा क्षेत्र की नियामक भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) ने अब अपने नियम में बदलाव कर दिया है। बीमा कंपनियों के पास खास करके के पास ऐसी बहुत सी पॉलियों का पैसा पड़ा हुआ है, जिसका क्लेम ही नहीं किया गया है। अभी तक यह पैसा बीमा कंपनी के पास ही रहता था, लेकिन अब बीमा कंपनियों को यह पैसा आईआरडीए के नियमों के तहत ट्रांसफर कराना होगा। 

जानिए आईआरडीएआई का नया निर्देश
 

जानिए आईआरडीएआई का नया निर्देश

आईआरडीए ने अपने निर्देश में कहा है कि बीमा धारक अगर बीमा पूरा होने के बाद 10 साल तक उस पैसे को नहीं लेता है, तो यह पैसा बीमा कंपनियों को सरकारी खाते में जमा कराना होगा। ऐसी स्थिति में बीमाधारक अगर 10 साल के बाद अपने बीमे के पैसे का क्लेम करता है तो उसे नहीं मिल पाएगा। आईआरडीए के निर्देश के अनुसार अगर पॉलिसीधारक ने बीमा पॉलिसी मैच्योर होने के बाद 10 साल के अंदर क्लेम नहीं किया, तो फिर मैच्योरिटी अमाउंट नहीं मिलेगी। बीमा पॉलिसी के मैच्योर होने के 10 साल के बाद बीमा कंपनी को इस पॉलिसी का पैसा सरकारी खजाने में जमा कराना होगा। आईआरडीए के नए सर्कुलर के अनुसार पॉलिसी धारक निश्चित तिथि के खत्म होने के 10 साल के अंदर क्लेम कर अपना बीमा का पैसा ले सकते हैं। यदि 10 साल का समय बीत गया तो फिर पॉलिसी धारक को यह पैसा नहीं मिल पाएगा।

जानिए कहां जमा की जाएगी यह बीमे की राशि

जानिए कहां जमा की जाएगी यह बीमे की राशि

आईआरडीए ने नए आदेश के तहत देश की सभी इंश्योरेंस कंपनियों को बीमा पॉलिसी की मैच्योरिटी के 10 साल बाद के के अनक्लेम्ड अमाउंट को सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में ट्रांसफर करना होगा। आईआरडीए ने साफ किया है कि यह नियम एलआईसी सहित देश की सभी बीमा कंपनियों पर लागू होगा। इसके अलावा आईआरडीए ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे अपनी वेबसाइट पर इस बावत जानकारी देंगी। इसमें बिना क्लेम वाली कितनी रकम उसके पास बची यह बताना होगा। इसके अलावा इस जानकारी को प्रत्येक 6 महीने में अपडेट भी करना होगा।

जानिए कितना पैसा पड़ा है अनक्लेम्ड

जानिए कितना पैसा पड़ा है अनक्लेम्ड

सभी बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये अनक्लेम्ड पड़ा हुआ है। एक जानकारी के अनुसार 30 सितंबर 2018 तक बीमा कंपनियों के पास करीब 17877.28 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड राशि के रूप में था। इनमें से एलआईसी के पास सबसे ज्यादा 16887.66 करोड़ रुपये था। इसके अलावा साधारण बीमा कंपनियों के पास 989.62 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़ा था। बीमाधारकों की सुविधा के लिए आईआरडीएआई ने देश की सभी बीमा कंपनियों को यह भी आदेश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट पर क्लेम राशि की सर्च की सुविधा भी दें। इसकी मदद से पॉलिसीधारक अपने क्लेम की सही जानकारी ले सकेगा। 

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English summary

If you do not claim insurance amount for 10 years you will not get maturity amount

insurance sector regulator Insurance Regulatory and Development Authority of India (IRDA), has changed the way claims are made after the insurance matures.
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