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डिजिटल पेमेंट लेने से मना किया तो अब लगेगा 5000 रुपये का जुर्माना

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नयी दिल्ली। सरकार और आरबीआई ने देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए लगातार कई कदम उठाये हैं। डिजिटल भुगतान को लेकर कई रियायतें दी गयीं और कंपनियों ने कैशबैक के साथ-साथ तरह-तरह के ऑफर भी दिये। इसका नतीजा यह हुआ कि देश में डिजिटल करने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गयी। पर अब सरकार ने दुकानदारों को लेकर नया निर्देश जारी किया है। सरकार ने डिजिटल भुगतान को लेकर दुकानदारों पर सख्ती करने फैसला लिया है। दरअसल अब उन दुकानदारों पर जुर्माना लगेगा जो डिजिटल पेमेंट नहीं लेंगे। यानी अब दुकानदारों के लिए डिजिटल पेमेंट लेना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि सरकार ने कुछ माध्यमों से ही इसे अनिवार्य बनाया है। उसमें भी सभी दुकानदारों को नहीं बल्कि एक खास वर्ग के दुकानदारों के लिए ही यह जरूरी होगा।

क्या है नया नियम

क्या है नया नियम

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने अधिसूचना जारी करके कहा है कि 50 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए 1 फरवरी से ग्राहकों को कम भुगतान डिजिटल मोड की सर्विस देनी जरूरी होगी, वरना उन पर रोजाना 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा। अगर दुकानदार या कारोबारी 31 जनवरी 2020 तक अपने यहाँ डिजिटल पेमेंट सिस्टम लगवा ले और उससे ग्राहकों से पेमेंट लेना शुरू कर दे है तो उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जायेगा।

इन माध्यमों के जरिये डिजिटल पेमेंट जरूरी
 

इन माध्यमों के जरिये डिजिटल पेमेंट जरूरी

दिनांक 30 दिसंबर की अधिसूचना में RuPay, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई या भीम यूपीआई और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस क्विक रेस्पॉन्स कोड यानी क्यूपीआई क्यूआर कोड या भीम यूपीआई क्यूआर द्वारा संचालित डेबिट कार्ड को लिस्टेड किया गया है। इनके जरिये दुकानदारों के लिए डिजिटल पेमेंट लेना जरूरी है। जुर्माने से बचने के लिए उन्हें 31 जनवरी तक इनके माध्यमों के जरिये पेमेंट लेने की व्यवस्था शुरू करनी ही होगी। इन व्यापारियों को एमडीआर से भी छूट होगी।

खत्म किया गया एमडीआर शुल्क

खत्म किया गया एमडीआर शुल्क

हाल ही में सरकार ने जनवरी से 50 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबारियों को रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई क्यूआर कोड के माध्यम से बिना मर्चेंट डिस्काउंट रेट या एमडीआर शुल्क के भुगतान लेने की सुविधा देने को कहा था। बता दें कि जब कोई उपभोक्ता व्यापारी के पॉइंट-ऑफ-सेल्स (PoS) टर्मिनल पर अपना कार्ड स्वाइप करता है तो व्यापारी अपने सर्विस प्रोवाइडर को जो शुल्क अदा करता है उसे ही एमडीआर कहते हैं। मगर व्यापारी भी यह शुल्क ग्राहकों से वसूलते हैं। दुकानदार या व्यापारी द्वारा वसूले गये एमडीआर का बड़ा हिस्सा उन बैंकों को जाता है, जो क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करते हैं। ये शुल्क हटने से ग्राहकों पर भी कम बोझ पड़ेगा।

यह भी पढ़ें - साल 2019 : बिजनेस दिग्गज हुए दिवालिया, झेलनी पड़ी जेल

English summary

if business refuse to take digital payment now will be fined Rs 5000

Recently the government removed the MDR fee. This will put less burden on the customers.
Story first published: Tuesday, December 31, 2019, 14:39 [IST]
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