SBI में सामने आया सैकड़ों करोड़ रु का घोटाला, मामला सीबीआई के पास
नयी दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में सैकड़ों करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। एसबीआई ने घोटाले की शिकायत सीबीआई के पास की है। एसबीआई की शिकायत के मुताबिक दिल्ली स्थित एक बासमती निर्यात कंपनी के प्रमोटरों ने 6 बैंकों के समूह से 414 करोड़ रुपये का घोटाला किया। ये प्रमोटर अब गायब हैं और देश छोड़ कर जा चुके हैं। शिकायत के अनुसार राम देव इंटरनेशनल लिमिटेड (आरडीआईएल) के मालिक 2016 के बाद तब से गायब हैं जब एसबीआई ने मामले में जांच शुरू की। सीबीआई ने 28 अप्रैल को कंपनी के तीन मालिकों के खिलाफ का मामला दर्ज किया, जिनमें सुरेश कुमार, नरेश कुमार और संगीता शामिल हैं। इनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किए गए हैं। ये ऐसा प्रोसेस है जिसका सभी बैंक धोखाधड़ी के मामलों में पालन किया जाता है।
दुबई भागने की है संभावना
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की 2018 में हुई कार्यवाही के मुताबिक, जिसमें आरडीआईएल के खिलाफ मुसादी लाल कृष्ण लाल नामक कंपनी ने भुगतान डिफ़ॉल्ट का मुकदमा किया था, जानकारी सामने आई थी कि इसके प्रमोटर दुबई भाग गए हैं। हालांकि मामले में एसबीआई की सुस्ती सामने आई है। 2016 में धोखाधड़ी का पता चलने के बावजूद एसबीआई, 6 बैंकों के समूह में प्रमुख बैंक, ने चार साल की देरी के साथ इस साल फरवरी में सीबीआई से मामले की शिकायत की।
किन-किन बैंकों को लगा चूना
इस फ्रॉड में एसबीआई को सबसे अधिक 173 करोड़ रुपये, केनरा बैंक को 76 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 64 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 51 करोड़ रुपये, कॉर्पोरेशन बैंक को 36 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक को 12 करोड़ रुपये का चूना लगा है। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार आरडीआईएल हरियाणा के करनाल स्थित अपनी तीन मिलों से मध्य-पूर्व, अरब और यूरोपीय देशों को बासमती चावल के निर्यात में लगी हुई थी। इसका दिल्ली में एक पंजीकृत ऑफिस है और सऊदी अरब के रियाद और दुबई, यूएई में शाखा ऑफिस भी हैं।
जनवरी 2016 में घोषित हुए एनपीए
आरडीआईएल ने इन बैंकों से 414 करोड़ रुपये का लोन लिया। कंपनी के लोन अकाउंट को जनवरी 2016 में एनपीए घोषित किया गया। इसके बाद उसी साल अगस्त और अक्टूबर में संपत्तियों का संयुक्त निरीक्षण किया गया। मगर जांच में यह पाया गया कि "पुरानी इकाई में मौजूद पूरी मशीनरी को कंपनी ने हटा दिया। संयुक्त निरीक्षण के समय उधारकर्ता उपलब्ध नहीं थे, बल्कि हरियाणा पुलिस सुरक्षा गार्ड वहां तैनात पाए गए। आगे की जांच में पता चला कि कंपनी प्रमोटर देश छोड़ कर भाग गए हैं। एफआईआर में कहा गया है कि आरोपी प्रमोटरों ने खातों में गड़बड़ी की, बैंक के फंड की लागत पर गैरकानूनी तरीके से लाभ पाने के लिए बैलेंस शीट में हेर-फेर किया और अनधिकृत रूप से उधारदाताओं की सहमति के बिना फैक्ट्री से प्लांट और मशीनरी हटाई।
SBI ने Home Loan कर दिया महंगा, जानिए कितना बढ़ेगा बोझ