डिजिटल पेमेंट में फ्रॉड से कैसे बचें, जानें 5 तरीके
नयी दिल्ली। आज कल ऑनलाइन के जमाने में स्मार्टफोन के साथ अलग-अलग सुविधाओं के लिए डिजिटल भुगतान से लोगों को बहुत सहूलियत मिल रही है। आप घर बैठे सामान मंगवाने, रेस्तरां, मूवी और भी भहुत सारी चीजों के लिए सिर्फ अपने मोबाइल से भुगतान कर सकते हैं। स्मार्टफोन के चलते डिजिटल भुगतान के चलन में काफी वृद्धि हुई है। खास कर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान का चलन बहुत बढ़ गया है। दरअसल ऑनलाइन पेमेंट सर्विसेज देने वाली कंपनियाँ उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के ऑफर पेश करती हैं, जिनमें कैशबैक शामिल है। ऐसे में बिना किसी झंझट के भुगतान और साथ में तरह-तरह के ऑफर्स के चलते लोग डिजिटल भुगतान को काफी पसंद करते हैं। मगर एक तरफ डिजिटल पेमेंट के फायदे हैं तो वहीं यह धोखाधड़ी करने वालों की नजरों से दूर नहीं हैं। आपकी जरा सी चूक आपको हजारों लाखों रुपये का नुकसान करवा सकती हैं। डिजिटल पेमेंट के बढ़ते चलन के साथ-साथ इससे जुड़ी धोखाधड़ी घटनाओं की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। हम आपको बता रहे हैं वे तरीके जिनके जरिये आपके साथ धोखा हो सकता है। साथ ही हम ये भी बतायेंगे कि आप कैसे डिजिटल पेमेंट पर होने वाले फ्रॉड से महफूज रह सकते हैं।
फर्जी मैसेजों से रहे सावधान
जालसाज 'Enter your UPI PIN to receive money' जैसे फर्जी मैसेज के साथ फर्जी भुगतान अनुरोध भेजकर यूपीआई पर रिक्वेस्ट फीचर का गलत इस्तेमाल करते हैं। ऐसे मैसेज के जवाब में कभी भी अपना यूपीआई पिन न डालें। ऐसा ही एक औप तरीका आपसे ठगी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको व्हाट्सऐप्प पर स्कैन करने के लिए एक क्यूआर कोड भेजा जायेगा। कुछ यूपीआई ऐप में मौजूद बतौर फीचर यह क्यूआर कोड असल कलेक्ट रिक्वेस्ट और स्कैनिंग होता है, जिसमें अपना पिन डालना धोखाधड़ी करने वालों को उनकी रिक्वेस्ट के लिए रजामंदी देना है। ऐसा कोई क्यूआर कोड मिलने पर अपना कार्ड नंबर, पिन या ओटीपी शेयर न करें। इसके अलावा धोखाधड़ी करने वाले आपकी सिम के डुप्लिकेट सिम का इंतजाम करते हैं, जिससे उन्हें ओटीपी मिल जाता है। वे मोबाइल कंपनी का प्रतिनिधि होने के बहाने डुप्लीकेट सिम को सक्रिय करने के लिए आपसे सिम कार्ड नंबर मांगते हैं। मगर याद रखिये कि ऐसे किसी लिंक पर क्लिक न करें और न ही किसी ईमेल का जवाब दें।
स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स के धोखे से रहे सावधान
जालसाज आपको किसी स्क्रीन शेयरिंग ऐप का उपयोग करने के लिए कहते हैं। ये ऐप असल में एक मालवेयर होता है, जो आपके मोबाइल डेटा को थर्ड पार्टी तक पहुँच देता है। याद रहे कि Screenshare, Anydesk, Teamviewer जैसी किसी स्क्रीन शेयर ऐप को इंस्टॉल न करें। फ्रॉड करने वाले सोशल मीडिया पर फर्जी बैंक अधिकारी बन कर आपसे आपकी शिकायत सुनने के बहाने अकाउंट डिटेल माँग सकते हैं। ऐसे में ध्यान रखें कि ऐसी स्थिति में बैंक की आधिकारिक साइट से ही फोन नंबर निकाल कर संपर्क करें।
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