अप्रैल से लगेगा भारी टैक्स, इसलिए कंपनियां अभी दे रहीं भारी डिविडेंड
नयी दिल्ली। नए बजट प्रस्ताव से पहले एक के एक बाद कंपनियां शेयरधारकों को लाभांश देने के लिए घोषणाएं कर रही हैं। नया टैक्स सिस्टम 1 अप्रैल से लागू होने जा रहा है, जिसमें लाभांश यानी डिविडेंड पर 43 फीसदी तक टैक्स लगेगा। 1 फरवरी से अब तक 204 कंपनियों ने लाभांश की घोषणा की है। जबकि 2019 में इसी अवधि के दौरान 90 और 2018 में 98 कंपनियों ने ही लाभांश की ही घोषणा की थी। इतनी ही अगले 3 दिनों में 32 और भी कंपनियों के निदेशक मंडल यानी बोर्ड की बैठक होने जा रही है, जिसमें लाभांश पर फैसला लिया जायेगा। जिन कंपनियों ने लाभांश का ऐलान किया है, जिनमें बजाज ऑटो शामिल है। बजाज ऑटो ने 21 फरवरी को अंतरिम लाभांश की घोषणा की। कंपनी ने 1200 फीसदी या 120 रुपये प्रति शेयर के लाभांश का ऐलान किया है। बता दें कि बजाज ऑटो ने 2019 और 2018 में मई में लाभांश की घोषणा की थी।
क्या होता है डिविडेंड (लाभांश)
जानकारी के लिए बता दें कि डिविडेंड किसी कंपनी द्वारा अपने शेयर होल्डर को दिया जाने वाले अपने शुद्ध मुनाफे का एक ही हिस्सा होता है। कंपनी को जो भी मुनाफा होता है, उसमे टैक्स और सभी तरह के कई तरह की अन्य कटौतियां होती हैं इसके बाद बचे हुए शुद्ध मुनाफे में कंपनी के सभी शेयर होल्डर में बराबर-बराबर बांटा जाता है। जिस किसी के पास उस कंपनी के जितने अधिक शेयर होते हैं उसे उतना ही अधिक डिविडेंड मिलेगा। उदाहरण के लिए अगर किसी के पास किसी कंपनी के 500 शेयर हैं और वो कंपनी 5 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड दे तो उस व्यक्ति को बतौर डिविडेंड 2500 रुपये मिलेंगे।
किस-किस ने क्या डिविडेंड घोषित
- श्री सीमेंट : 14 फरवरी को 1100 फीसदी
- सिम्फनी : 7 फरवरी को 900 फीसदी
- डिविस लैब : 12 फरवरी को 800 फीसदी
- बालकृष्ण इंडस्ट्रीज : 14 फरवरी को 800 फीसदी
- हीरो मोटोकॉर्प : 3250 फीसदी
- क्रिसिल : 1300 फीसदी
- टाइड वॉटर ऑयल : 1200 फीसदी
- अल्केम लैब : 1100 फीसदी
- डिविस लैब : 800 फीसदी
- नेस्ले इंडिया : 610 फीसदी
- एनएमडीसी : 529 फीसदी
2002 में भी हुआ था ऐसा
अंतरिम लाभांश का भुगतान करने के लिए इसी तरह की हौड़ 2002 में देखी गई थी, जब तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शेयरधारकों को मिले लाभांश पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था। मार्च 2007 में भी 2007-08 के बजट की प्रस्तुति के बाद जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने लाभांश वितरण कर (DDT) को बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा, तो अगले वित्तीय वर्ष से पहले रिकॉर्ड 300 लिस्टेड कंपनियों ने अंतरिम लाभांश का भुगतान करने की घोषणा की थी।
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