GST : 93000 करोड़ रु की टैक्स चोरी का लगा पता, RTI में खुलासा
नई दिल्ली, जनवरी 25। सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी का पता लगाया है। इसमें 2017 से पहले के केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सर्विस टैक्स भी शामिल हैं। ये टैक्स चोरी 93,375 करोड़ रुपये की है। इस बात का खुलासा एक आरटीआई में हुआ है, जिसका जवाब जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) की भारत भर के प्रमुख शहरों में (दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, चंडीगढ़ आदि) मौजूद कई विभिन्न क्षेत्रीय यूनिट्स ने दिया है। इससे पहले पिछले छह वित्तीय वर्षों में दिल्ली में स्थित डीजीजीआई के मुख्य कार्यालय की तरफ से 9,359 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की सूचना दी गई थी।
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7000 से अधिक नोटिस भेजे गए
वित्त वर्ष 2011 और 2021 के बीच केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली कानून प्रवर्तन एजेंसी डीजीजीआई द्वारा विभिन्न टैक्स डिफॉल्टर्स को भेजे गए 7,000 से अधिक नोटिसों से 93,375 करोड़ रुपये की चोरी सामने आई। आरटीआई कार्यकर्ता अभय कोलारलार ने इस संबंध में प्रश्न पूछे थे। इतनी बड़ी राशि की वसूली नहीं होने से वे स्तब्ध हैं। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा है जिसमें डीजीजीआई की टैक्स चोरी की निगरानी में विफलता और एक दशक से अधिक समय तक डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की ओर इशारा किया गया है।
क्या की है मांग
कोलारलार ने मांग की है कि वित्त मंत्रालय को सीबीआईसी और सीबीडीटी और उनके निदेशालयों को अपनी सालाना प्रदर्शन रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश देना चाहिए। इसे चोरी पर लगाम लगाने के लिए लगभग 80,000 रिक्त पदों को भी भरना चाहिए,।। इनमें चार्टर्ड एकाउंटेंट, कॉस्ट अकाउंटेंट्स, डेटा विश्लेषकों और लॉ ग्रेजुएट शामिल हैं।
दिए गए कई सुझाव
टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन सिस्टम में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए, कार्यकर्ता ने चोरी की निगरानी और राशि की वसूली के लिए सीतारमण को कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि सीबीडीटी, और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) चोरों को जेल भेजकर उन्हें दंडित करने में विफल रहे हैं। कोलारकर ने अभियोजन को मजबूत करने और मामलों की निगरानी करने की मांग की है।