सरकार दे रही 5 लाख रु जीतने का मौका, करना होगा ये चैलेंज पूरा
नई दिल्ली, मई 30। वाशरूम में स्वच्छता और हाइजीन की क्वालिटी का हमारे स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सार्वजनिक शौचालयों के लिए स्वच्छ पानी और बेहतर सिस्टम की सुविधा होनी जरूरी है, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर आबादी का स्वास्थ्य अच्छा रह सकता है। इनोवेटिव सॉल्यूशन, जो स्वच्छता के मुद्दे के साथ साथ पानी के खर्च को कम कर सकते हैं, इस समय की जरूरत है। इसी दिक्कत को देखते हुए हिंदुस्तान यूनिलीवर, इन्वेस्ट इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, अग्नि और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, भारत सरकार के कार्यालय ने 'ग्रैंड वॉटर सेविंग चैलेंज' शुरू किया है। इसमें टॉइलेट बोर्ड कोलिशन के साथ सहयोग किया गया है। इस चैलेंज को पूरा करने पर आप भी 5 लाख रु जीत सकते हैं।
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जानिए क्या करना होगा
इस चैलेंज में भाग लेने वालों को इंडियन टॉयलेट के लिए एक इनोवेटिव फ्लश सिस्टम डिजाइन करना है। यदि आपका डिजाइन पहले नंबर पर रहा तो आपको 5 लाख रु का इनाम दिया जाएगा। चैलेंज का मकसद शौचालय में हाइजिन और सफाई के साथ ही पानी की भी बचत करना है। यानी आपको ऐसा टॉयलेट फ्लश सिस्टम बनाना है, जो सफाई को बेहतर करे और पानी भी बचाए।
कितना होगा इनाम
इस चैलेंज में दो इनाम रखे गए हैं। पहले विजेता को 5 लाख रु का इनाम मिलेगा। आप इस कॉम्पिटीशन में टीम के साथ भी हिस्सा ले सकते हैं। जो भी टीम अव्वल आएगी फिर उसे 5 लाख रु मिलेंगे। प्रतियोगिता में जो व्यक्ति या टीम दूसरे नंबर पर आएगी, उसे 2.50 लाख रुपये की इनामी राशि मिलेगी। यदि आप रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो इस लिंक (https://www.startupindia.gov.in/content/sih/en/ams-application/challenge.html?applicationId=6050cc03e4b03f92cbc8c95e) पर विजिट करें।
कब तक है मौका
इस चैलेंज के लिए आवेदन करने का मौका 25 जून तक है। आवेदन रिजल्ट की अंतिम तिथि 5 जुलाई है। स्टार्टअप जो डीपीआईआईटी (उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभाग) के साथ रजिस्टर्ड हैं और शैक्षणिक संस्थान जो स्टार्टअप के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकते हैं, इस चैलेंज में भाग ले सकते हैं।
किन भारतीयों के लिए खुला है चैलेंज
यह चुनौती भारत में रहने वाले उन भारतीय नागरिकों के लिए है जिनकी आयु अठारह वर्ष या उससे अधिक है और जो किसी भी कारण से भाग लेने के लिए कानूनी रूप से अपात्र नहीं हैं।
क्या है चैलेंज
तैयार किये गये सिस्टम को केवल 2.5 लीटर पानी का उपयोग करके अवशेष की सफाई करने वाला होना चाहिए। इन सिस्टम के निर्माण के लिए सिरेमिक या रिसाइकिल्ड प्लास्टिक जैसी सामग्री का उपयोग किया जा सकता है।