देश में उत्पादित कच्चे तेल पर सरकार का बड़ा फैसला, जानिए पूरी डिटेल
नई दिल्ली, जून 29। देश में उत्पादित कच्चे तेल पर सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को घोषणा की है कि कैबिनेट ने घरेलू रूप से उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री के अविनियमन (नियमों या प्रतिबंधों को हटाना) को मंजूरी दे दी है। फिलहाल केंद्र सरकार तय करती है कि किस राज्य द्वारा संचालित रिफाइनरी को प्रत्येक उत्पादक से कितना क्रूड मिलता है। इसके बाद, 'फाइव-कट' (पांच सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले रिफाइंड प्रोडक्ट्स की यील्ड) के वैश्विक तरीके के बजाय एक मार्कर के रूप में ब्रेंट के साथ एक पारंपरिक फॉर्मूले पर प्राइस तय किया जाता है।
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सरकार को क्या होगा फायदा
इससे सरकार के राजस्व को बढ़ावा मिलेगा और ऑयल इंडिया और ओएनजीसी जैसी कंपनियों को अपने कच्चे तेल के लिए बेहतर प्राप्ति होगी। तेल कंपनियों के लिए यह बेहतर प्राप्ति केंद्र की रॉयल्टी और उपकर आय को बढ़ावा दे सकती है क्योंकि उनसे कीमत के प्रतिशत के रूप में शुल्क लिया जाता है। सेस 20 फीसदी पर आंका गया है, जबकि रॉयल्टी 20% ऑनशोर और 10% ऑफशोर उत्पादन के लिए आंकी गई है।
सरकार की इनकम कितनी बढ़ेगी
उच्च रॉयल्टी और सेल आय पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण सरकार के 1 लाख करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान की भरपाई करेगी। नियमों को आसान बनाने के लिए, आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने बुधवार को घरेलू कच्चे तेल क्षेत्र को डीरेगुलेट करने का फैसला किया। इससे ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और निजी कंपनियों जैसे तेल उत्पादकों को खुले बाजार में इसे बेचने की इजाजत मिल गई। नई नीति 1 अक्टूबर से लागू होगी। अभी तक, तेल उत्पादक सरकार की आवंटन नीति के अनुसार बेच सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीईए की बैठक बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। सभी ईएंडपी (एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन) कंपनियां अब घरेलू बाजार में अपनी फील्ड से कच्चा तेल बेचने के लिए स्वतंत्र होंगी। घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के निर्यात की अनुमति नहीं होगी।